इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की, इलेक्ट्रॉन की खोज कब हुई, इलेक्ट्रॉन की खोज कैसे हुई इलेक्ट्रॉन की खोज इलेक्ट्रॉन क्या है? इलेक्ट्रॉन की सामान्य जानकारी, कैथोड किरणें, कैथोड किरणों के गुण इलेक्ट्रॉन का आवेश द्रव्यमान अनुपात से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी इसमें शामिल की गई है
इलेक्ट्रॉन क्या है इलेक्ट्रॉन की सामान्य जानकारी
परमाणु में इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन पाए जाते हैं। परमाणु केंद्र भाग को नाभिक कहा जाता है। नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं और इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर परिक्रमा करते हैं।
- इलेक्ट्रॉन की खोज 1897 में जे. जे. थॉमसन ने की थी ।
- इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान me= 9.1 × 10-31 kg
- इलेक्ट्रॉन का आवेश (e)= -1.6022 × 1019
- Note : इलेक्ट्रॉन का वास्तव में आवेश – e होता है क्योंकि इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित कण होता है।
- इसे -1e0 से प्रदर्शित किया जाता है
- किसी भी परमाणु कि बाहरी कक्षा में स्थित इलेक्ट्रॉन को संयोजी इलेक्ट्रॉन कहलाता है।
- इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का 1/1837 गुना होता है।
- आइंस्टीन के अनुसार गतिमान आवेश का द्रव्यमान : m=\frac{m0}{\sqrt{1-\frac{v^2}{c^2}}}
इलेक्ट्रॉन की खोज कैसे हुई ?
माइकल फैराडे 1830 के अनुसार यदि किसी विलियन में विद्युत प्रवाहित करते हैं तो इलेक्ट्रॉडों पर रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं, जिससे इलेक्ट्रॉडों पर पदार्थ का निक्षेपण होता है।
1850 के लगभग में अनेक वैज्ञानिक विशेषकर फैराडे ने आंशिक रूप से कैथोड किरण नलिकाएं में विद्युत विसर्जन का अध्ययन प्रारंभ किया फैराडे ने आंशिक रूप से निर्वार्तित नलिकाओं (कैथोड किरण नलिकाएँ) में विद्युत विसर्जन का अध्ययन किया। विभिन्न गैसों के दाब को निर्वातन द्वारा नियंत्रित किया गया। इस प्रकार जब इलेक्ट्रोडों पर उच्च वोल्टता लगायी गई, तो नलिका में कणों की एक धारा द्वारा ऋणात्मक इलेक्ट्रोड (कैथोड) से धनात्मक इलेक्ट्रोड (ऐनोड) की तरफ विद्युत् का प्रवाह आरम्भ हुआ। कणों की इस धारा को कैथोड किरणें कहते हैं।
विद्युत् और चुंबकीय क्षेत्रों की उपस्थिति में कैथोड किरणें धनावेशित प्लेट की ओर मुड़ जाती हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि कैथोड किरणों में ऋणावेशित कण होते हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉन कहते हैं।
NOTE : 1. इलेक्ट्रॉड किसे कहते हैं ?
कैथोड किरण नलिका काँच से बनी होती है, जिसमें धातु के दो पतले टुकड़े सील किए हुए होते हैं जिन्हें इलेक्ट्रॉड कहा जाता है।
2. गैसों में विद्युत विसर्जन को सिर्फ निम्न दाब (0.01 मिमी) एवं उच्च विभव (10000 वोल्ट) पर प्रेक्षित किया जा सकता है।
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कैथोड किरणों के गुण :
इस प्रयोग से प्राप्त निष्कर्ष निम्नलिखित हैं-
- कैथोड किरणें कैथोड से प्रारम्भ होकर ऐनोड की ओर गमन करती हैं।
- धातु की पतली पन्नी के आर-पार निकल जाती हैं।
- ये किरणें स्वयं दिखाई नहीं देतीं, परन्तु इनके व्यवहार को गैसों तथा कुछ निश्चित प्रकार के पदार्थों (स्फुरदीप्त तथा प्रतिदीप्त)की उपस्थिति में देखा जा सकता है।
- कैथोड किरणें यांत्रिक प्रभाव दर्शाती हैं, अर्थात् ये सूक्ष्म द्रव्य कणों से मिलकर बनी होती हैं।
- स्फुरदीप्त तथा प्रतिदीप्त पदार्थ कैथोड किरणों से टकरा कर चमकते हैं ।
- विद्युत् और चुम्बकीय क्षेत्रों की अनुपस्थिति में ये किरणें सीधे गमन करती हैं।
- इलेक्ट्रॉनों के लक्षण कैथोड किरण नलिका के इलेक्ट्रोडों के पदार्थ एवं उसमें उपस्थित गैस की प्रकृति पर निर्भर नहीं करते हैं। अतः यह निष्कर्ष निकलता है कि इलेक्ट्रॉन सभी परमाणुओं के मूल घटक होते हैं।
इलेक्ट्रॉन का आवेश द्रव्यमान अनुपात :
इलेक्ट्रॉन की खोज जे. जे. थॉमसन ने की थी । सन् 1897 में थॉमसन ने कैथोड किरणों का प्रयोग करके, इलेक्ट्रॉनों के पथ तथा एक- दूसरे के लम्बवत् विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र लगाकर आवेश तथा द्रव्यमान का अनुपात (e/m) ज्ञात किया।
थॉमसन ने विद्युत अथवा चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति में इलेक्ट्रॉनों के विचलन की मात्रा का अच्छी तरह मापन करके e/mg के मान का निर्धारण किया जो कि = 1.758820 × 1011 C kg-1 होता है ।
e/me को विशिष्ट आवेश भी कहा जाता है। अतः e/me = 1.758820 × 1011 C kg-1