वाण्डर वाल्स समीकरण ,व्युत्पत्ति, सीमायें

वाण्डर वाल्स ने 1873 में अन्तर आण्विक आकर्षण बल और अणुओं द्वारा घेरे गये आयतन के दोष को ध्यान में रखकर , आदर्श गैस समीकरण में कुछ संशोधन करके नया समीकरण बनाया , जिसे वाण्डर वाल्स समीकरण कहते हैं । वाण्डर वाल्स समीकरण [ Vander Waal’s equation] से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।

  • वाण्डर वाल्स समीकरण
  • वान्डरवाल समीकरण की व्युत्पत्ति
  • वाण्डर वाल्स समीकरण के महत्वपूर्ण बिंदु
  • वाण्डर वाल्स समीकरण की सीमायें

जैसे महत्वपूर्ण टॉपिक से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी है।

वाण्डर वाल्स समीकरण
[ Vander Waal’s equation]

वाण्डर वाल्स ने अन्तर आण्विक आकर्षण बल और अणुओं द्वारा घेरे गये आयतन के दोष को ध्यान में रखकर , आदर्श गैस समीकरण में कुछ संशोधन करके नया ( 1873 में ) समीकरण बनाया , जिसे वाण्डर वाल्स समीकरण कहते हैं ।

ये संशोधन हैं ( i ) आयतन में संशोधन ( ii ) दाब में संशोधन

वाण्डर वाल्स समीकरण का वास्तविक गैसों द्वारा ताप और दाब की विस्तृत सीमा पर पालन किया जाता है । इसलिए इस समीकरण को वास्तविक गैसों का अवस्था समीकरण कहते हैं ।

गैस के n मोलों के लिए वाण्डर वाल्स समीकरण है ,

\left(P + \frac{n²a}{V²}\right) - [ V - nb ] = nRT 

[P + n²a/] आण्विक आकर्षण के लिये दाब संशोधन

[ V – nb ] नियत आकार के अणुओं के लिये आयतन संशोधन = nRT

a और b वाण्डर वाल नियतांक हैं जिनका मान गैस की प्रकृति पर निर्भर करता है , सामान्यतः गैस के लिए a >> b .

वान्डरवाल समीकरण की व्युत्पत्ति
[ Derivation of Vander Waal’s Equation ]

1873 में वान्डरवाल ने आदर्श गैस समीकरण को वास्तविक गैसों के लिए लागू करने हेतु आयतन तथा दाब में संशोधन किया तथा वान्डरवाल समीकरण की उत्पत्ति की ।

आयतन संशोधन [ Volume Correction ]

वान्डरवाल ने वास्तविक गैसों के अणुओं को दृढ़ तथा गोलाकार माना जिनका आयतन निश्चित होता है , अतः

आदर्श गैस का आयतन = वास्तविक गैस का आयतन – गैस के अणुओं द्वारा घेरा गया आयतन

Vi = V – b

यहाँ b वास्तविक गैस के एक मोल का अपवर्जित आयतन कहलाता है।

n मोल गैस के लिए Vi = V – nb

अर्थात् अणु V आयतन में विचरण के स्थान पर ( V – nb ) आयतन में विचरण करने के लिए प्रतिबंधित हो जाते हैं , जहाँ nb गैस के अणुओं द्वारा घेरे गए वास्तविक आयतन के लगभग बराबर होता है ।

नोट- अपवर्जित आयतन (b) अणुओं के वास्तविक आयतन का चार गुना होता है ।

दाब संशोधन [ Pressure Correction ]

किसी पात्र में अन्दर की तरफ स्थित एक अणु पर सभी तरफ से अन्य अणुओं का आकर्षण बल लगता है तथा ये बल एक – दूसरे को निरस्त कर देते हैं जिससे इस अणु पर परिणामी आकर्षण बल शून्य होता है , लेकिन वह अणु जो पात्र की दीवार के पास होता है या पात्र की दीवार से टकराने जा रहा है , उस पर परिणामी आकर्षण बल पात्र के अन्दर की तरफ होता है । इस कारण पात्र की दीवार के पास स्थित अणु पर अन्दर की ओर खिंचाव होता है अतः यह अणु पात्र की दीवार से कम वेग से टकराता है तथा पात्र की दीवार पर कम दाब डालता है । इस प्रकार गैस का वास्तविक दाब , आदर्श गैस के दाब की तुलना में राशि P जितना कम होता है ।

अतः P = Pi – P

Pi = P + p

p = दाब संशोधन

दाब संशोधन निम्न कारकों पर निर्भर करता है

गैस के उन अणुओं की संख्या जो पात्र की दीवार पर टकराने ज्राले अणु पर खिंचाव उत्पन्न करते हैं जो कि गैस के घनत्व पर निर्भर करते हैं।
अर्थात्

\mathrm{p} \propto \mathrm{p}


(ii) गैस के उन अणुओं की संख्या जो पात्र की दीवार से इकाई
क्षेत्रफल पर प्रति सेकण्ड टकराते हैं तथा ये भी गैस के घनत्व पर निर्भर करते हैं।
अर्थात्

\mathrm{p} \propto \mathrm{p}


उपरोक्त दोनों कारकों को मिलाने पर

\mathrm{p} \propto \mathrm{p}^{2} \propto\left(\frac{\mathrm{n}}{\mathrm{V}}\right)^{2}

[ चूँक घनत्व ep=n/V ]
या

\mathrm{p}=a \frac{\mathrm{n}^{2}}{\mathrm{~V}^{2}}

(a=आकर्षण गुणांक)
अतः

P_{i}=P+\frac{a n^{2}}{V^{2}}

यहाँ \mathrm{P}{i}=\mathrm{P}^{\text {आदर्श, }} \mathrm{P}=\mathrm{P}^{\text {वास्तविक }} तथा \frac{\mathrm{an}^{2}}{\mathrm{~V}^{2}} संशोधित पद है। आदर्श गैस समीकरण \mathrm{P}{i} \mathrm{~V}{i}=n \mathrm{RT} में Pi तथा Vi का मान रखने पर-

\left(\mathrm{P}+\frac{\mathrm{an}^{2}}{\mathrm{~V}^{2}}\right)(\mathrm{V}-\mathrm{nb})=n \mathrm{RT}

यह n मोल गैस के लिए वान्डरवाल समीकरण है। जब n=1 अर्थात् गैस एक मोल है तो

\left(P+\frac{a}{V^{2}}\right)(V-b)=R T

वाण्डर वाल्स समीकरण के महत्वपूर्ण बिंदु

  1. उच्च दाब पर वाण्डर वाल समीकरण वास्तविक गैसों के लिए सही परिणाम देता है ।
  2. यह समीकरण समतापीय प्रक्रम के झुकाव , जो कि V के लिये PV के P के साथ विचलन को प्रदर्शित करता है
  3. वाण्डर वाल्स समीकरण की सहायता से , वाण्डर वाल नियतांक ‘ ‘ a ‘ और ‘ b ‘ के अर्थ में , बॉयल तापक्रम , क्रान्तिक स्थिरांक और प्रतिलोमन तापक्रम को समझाया जा सकता है ।
  4. वाण्डर वाल्स समीकरण पदार्थों की छोटी और उपयोगी समीकरण प्रस्तुत करता है इसका एक लाभ यह है कि सभी गैसों के लिये केवल एक ही वक्र बनाया जा सकता है , जो कि सभी परिवर्तनों का ग्राफीय निरूपण प्रदर्शित करता है ।

वाण्डर वाल्स समीकरण की सीमायें

  • यह समीकरण अत्यधिक निम्न ताप और अत्यधिक उच्च दाब पर विचलन को प्रदर्शित करता है ।
  • वाण्डर वाल नियतांक a और b ताप और दाब की निश्चित सीमा के ऊपर स्थिर नहीं रहता है । अतः यह समीकरण ताप और दाब की निश्चित सीमा पर ही सत्य होता है ।

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