द्रव अवस्था ( Liquid State ) से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
- द्रव अवस्था ( Liquid State )-द्रव अवस्था के गुण
- वाष्प दाब किसे कहते है ?
- पृष्ठ तनाव किसे कहते है ?
- श्यानता ( Viscosity ) किसे कहते है ?
जैसे महत्वपूर्ण टॉपिक से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी है।
द्रव अवस्था ( Liquid State )
पदार्थ की द्रव अवस्था गैस तथा ठोस अवस्था के बीच की होती है । अतः द्रव में अणु ठोस के समान व्यवस्थित रूप में नहीं पाए जाते हैं तथा गैस के समान अत्यधिक अव्यवस्थित भी नहीं होते हैं ।
इसी प्रकार द्रव में अन्तराअणुक आकर्षण बल न तो ठोस के समान बहुत अधिक तथा न ही गैस के समान बहुत कम होते हैं । लेकिन द्रवों में ये आकर्षण बल इतने प्रबल होते हैं कि द्रव एक निश्चित आयतन में रहता है तथा गैसों की तुलना में द्रवों का घनत्व अधिक होता है ।
द्रव अवस्था के मुख्य गुण
द्रव अवस्था के मुख्य गुण निम्नलिखित हैं-
- द्रव अवस्था में गैस अवस्था की में अन्तराअणुक बल तुलना अधिक प्रबल होते हैं । अतः इनके अणु पास – पास होते हैं तथा उनके मध्य रिक्त स्थान बहुत कम होता है , अत : इसका संपीडन बहुत कम होता है ।
- द्रव अवस्था , गैस की तुलना में अधिक सघन होती है ।
- द्रवों का आयतन निश्चित होता है क्योंकि अणु एक – दूसरे से पृथक् नहीं होते हैं ।
- द्रव के अणु मुक्त रूप से गमन करते हैं जिससे द्रव प्रवाहित होते हैं तथा द्रव पात्र की आकृति ही ग्रहण कर लेता है ।
- द्रवों में श्यानता , पृष्ठ तनाव तथा वाष्प दाब का गुण होता है ।
वाष्प दाब किसे कहते है ?
स्थिर ताप पर जब कोई द्रव तथा उसकी वाष्प साम्य अवस्था में होते हैं तो इस स्थिति में वाष्प द्वारा , द्रव की सतह पर लगाया गया दाब , उस द्रव का वाष्प दाब कहलाता है ।.
वह ताप जिस पर किसी द्रव का वाष्प दाब , बाह्य दाब ( वायुमण्डलीय दाब ) के समान हो जाता है इसे उस दाब पर द्रव का क्वथनांक कहते हैं ।
एक वायुमण्डलीय दाब पर द्रव के क्वथनांक को सामान्य क्वथनांक तथा जब दाब एक bar होता है तो इस क्वथनांक को मानक क्वथनांक कहते हैं ।
वाष्प दाब को प्रभावित करने वाले कारक
द्रव की प्रकृति ( Nature of Liquid ) – वे द्रव जो अध्रुवीय होते हैं वे अधिक वाष्पशील होते हैं अतः उनका वाष्प दाब अधिक होता है जैसे कार्बन टेट्राक्लोराइड । लेकिन ध्रुवीय द्रवों की वाष्पशीलता कम होती है , अतः उनका वाष्प दाब भी कम होता है ।
ताप ( Temperature ) – ताप बढ़ाने पर द्रव का वाष्प दाब है क्योंकि अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ती है अतः द्रवों का वाष्पीकरण आसानी से होता है ।
अवाष्पशील विलेय मिलाने पर– किसी द्रव में अवाष्पशील विलेय मिलाने पर उसका वाष्प दाब कम हो जाता है । वाष्प दाब के मापन की निम्नलिखित विधियाँ होती हैं
- स्थैतिक विधि
- गतिक विधि
- गैस संतृप्त विधि
द्रव की सतह पर स्थित अणुओं पर लगने वाले आकर्षण के कारण द्रव के तल पर नीचे की ओर एक बल कार्य करता है जिससे द्रव अपनी सतह को न्यूनतम करने का प्रयास करता है । द्रव के तल पर लगने वाले इस बल को पृष्ठ तनाव कहते हैं ।
इसकी इकाई kg s-2 तथा SI मात्रक में Nm-1 होती है ।
अणुओं के मध्य आकर्षण बल – अणुओं के मध्य आकर्षण बल बढ़ने पर , पृष्ठ तनाव का मान बढ़ता है ।
ताप – ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है क्योंकि अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है जिससे अणुओं के मध्य आकर्षण कम हो जाता है ।
अशुद्धियाँ : द्रव की सतह पर उपस्थित अथवा उसमें घुलनशील अशुद्धियाँ पृष्ठ तनाव को प्रभावित करती हैं तथा यह प्रभाव अशुद्धि की मात्रा पर निर्भर करता है । सोडियम क्लोराइड जैसी जल में उच्च घुलनशील अशुद्धि पृष्ठ तनाव बढ़ाती है , जबकि फिनॉल जैसी अल्प घुलनशील अशुद्धि जल का पृष्ठ तनाव घटा देती है ।
- कपड़ों पर लगे तेल अथवा ग्रीस के धब्बे शुद्ध जल से नहीं हटाए जा सकते । परन्तु जब जल में साबुन घोला जाता है , तो पृष्ठ तनाव घट जाता है , परिणामस्वरूप साबुन के घोल व तेल अथवा ग्रीस के धब्बों के मध्य आसंजक बल बढ़ जाता है । इस प्रकार तेल , ग्रीस व धूल के कण साबुन के घोल के साथ आसानी से मिल जाते हैं और कपड़े आसानी से धुल जाते हैं ।
- तैलीय स्नेहकों व पेंट्स का पृष्ठ तनाव कम रखा जाता है ताकि वे आसानी से ज्यादा क्षेत्रफल में फैल जाऐं ।
- समुद्र में उठी लहरों को तेल डालकर शांत किया जाता है ।
श्यानता ( Viscosity ) किसे कहते है ?
श्यानता द्रवों का अभिलाक्षणिक गुण है । तरल का वह गुण जिसके कारण वह अपनी सम्पर्क सतहों के मध्य सापेक्षिक गति का विरोध करता है , श्यानता ( तरल घर्षण अथवा आंतरिक घर्षण ) कहलाता है , तथा सम्पर्क सतहों के मध्य लगने वाला बल श्यान बल कहलाता है ।
जब द्रव का प्रवाह होता है तो उसकी परतें एक – दूसरे के ऊपर से गुजरती हैं जिससे उनके मध्य घर्षण बल उत्पन्न होता है । इस घर्षण बल का माप ही श्यानता कहलाता है अर्थात् किसी द्रव के प्रवाह के प्रति उत्पन्न आन्तरिक प्रतिरोध को श्यानता कहते हैं
F=\eta A\frac{du}{dz}
यहाँ η एक समानुपातिक स्थिरांक है जिसे श्यानता गुणांक कहते हैं जिसे सामान्यतः श्यानता कहा जाता है । यह द्रव की प्रकृति तथा ताप पर निर्भर करता है ।
श्यानता का मापन ( Measurement of Viscosity )
किसी द्रव की श्यानता का मापन सामान्यत : ओस्टवाल्ड विस्कोमीटर द्वारा किया जाता है तथा इसे ज्ञात करने के लिए निम्न सूत्र प्रयुक्त किया जाता है
\frac{\eta_1}{\eta_2}=\frac{t_1d_1}{t_2d_2}
यहाँ η1 = जल की विस्कासिता ,
η2= दिए गए द्रव की विस्कासिता
d1 = जल का घनत्व ,
d2 = द्रव का घनत्व
t1 = प्रयोग के दौरान जल के बहने में लगा समय
t2 = प्रयोग के दौरान द्रव के बहने में लगा समय
- जिन द्रवों की श्यानता अधिक होती है उनका प्रवाह बहुत धीरे होता है ।
- द्रव के अणुओं के मध्य अन्तर – आण्विक आकर्षण बल ( वान्डरवाल बल ) बढ़ने पर श्यानता बढ़ती है ।
- हाइड्रोजन बन्ध , सामान्यतः वान्डरवाल बल से प्रबल होता है , अतः जिन यौगिकों में हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है उनकी श्यानता . अधिक होती है जैसे सान्द्र H2SO4 , ग्लिसरॉल , ( ग्लिसरीन ) इत्यादि ।