ऊष्मागतिकी: निकाय एवं परिवेश The System and the Surroundings से संबंधित सभी महत्वपूर्ण NCERT पर आधारित नोट्स लिखे गए है। निम्न लिखित टॉपिक की विस्तार से जानकारी दी गयी है
निकाय एवं परिवेश
संघटन के आधार पर निकाय
- समगी निकाय तथा
- विषमांगी निकाय
निकाय के प्रकार
- खुला निकाय
- बन्द निकाय
- विलगित निकाय
निकाय स्थूल गुण
निकाय तंत्र की अवस्था तथा अवस्था परिवर्तन
निकाय एवं परिवेश
The System and the Surroundings
निकाय अथवा तंत्र ( System ) ब्रह्माण्ड का वह भाग जिसका चयन ऊष्मागतिकीय अध्ययन के लिए किया जाता है , उसे निकाय या तंत्र कहते हैं ।
निकाय , ब्रह्माण्ड के शेष भाग से वास्तविक या काल्पनिक सीमाओं द्वारा पृथक् होता है । ऊष्मागतिकीय अध्ययन के प्रेक्षण निकाय पर ही किए जाते हैं ।
परिवेश ( Surroundings ) – निकाय के अतिरिक्त ब्रह्माण्ड का शेष भाग परिवेश कहलाता है ।
सामान्यतः समष्टि ( space ) का वह क्षेत्र जो निकाय के आस – पास होता है उसे परिवेश के अन्तर्गत लिया जाता है , निकाय तथा परिवेश दोनों को मिलाकर ब्रह्माण्ड कहा जाता है ।
निकाय + परिवेश = ब्रह्माण्ड निकाय में होने वाले परिवर्तनों से निकाय के अतिरिक्त सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड प्रभावित नहीं होता है ।
इसीलिए प्रायोगिक कार्यों के लिए ब्रह्माण्ड का वही भाग परिवेश के रूप में लिया जाता है , जो निकाय से क्रिया करता है ।
उदाहरण- एक बीकर में उपस्थित दो पदार्थ A तथा B के मध्य अभिक्रिया का ऊष्मागतिकीय अध्ययन करना है तो अभिक्रिया मिश्रण तंत्र होगा तथा ब्रह्माण्ड का शेष भाग ( बीकर सहित ) परिवेश होगा ।
संघटन के आधार पर निकाय को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
( i ) समगी निकाय तथा
( ii ) विषमांगी निकाय ।
i ) समांगी निकाय ( Homogenous System ) – जब किसी निकाय में उपस्थित सभी पदार्थ समान प्रावस्था ( Phase ) में होते हैं । अर्थात् निकाय के प्रत्येक भाग का रासायनिक संघटन समान होता है तो इसे समांगी निकाय कहते हैं ।
उदाहरण – शुद्ध ठोस , शुद्ध द्रव – घुलनशील द्रवों का मिश्रण , शुद्ध गैस या गैसों के मिश्रण ।
ii ) विषमांगी निकाय ( Heterogenous System ) – जब किसी निकाय में दो या दो से अधिक प्रावस्थाएँ उपस्थित होती हैं तो इसे विषमांगी निकाय कहते हैं ।
उदाहरण- अघुलनशील द्रवों का मिश्रण , किसी पदार्थ के कोलाइडी विलयन ।
निकाय के प्रकार ( Types of Systems ) – द्रव्य तथा ऊर्जा के संरचण के आधार पर निकाय तीन प्रकार के होते हैं
( i ) खुला निकाय
( ii ) बन्द निकाय
( iii ) विलगित निकाय
( i ) खुला निकाय ( Open System ) – ऐसा निकाय जो अपने परिवेश से ऊर्जा तथा द्रव्य दोनों का विनिमय ( Exchange ) कर सके , खुला निकाय कहलाता है ।
उदाहरण- एक खुले बीकर में रखा गर्म जल
( ii ) बन्द निकाय ( Closed System ) – वह निकाय जो अपने परिवेश से ऊर्जा का विनिमय तो कर सकता है लेकिन द्रव्य का नहीं , उसे बन्द निकाय कहते हैं ।
उदाहरण- एक बंद पात्र में रखा गर्म जल ( जलवाष्प तंत्र )
( iii ) विलगित निकाय ( Isolated System ) – वह निकाय जो अपने परिवेश से ऊर्जा तथा द्रव्य दोनों का ही विनिमय नहीं करता है , उसे विलगित निकाय कहते हैं ।
उदाहरण- थर्मस फ्लास्क में रखा गर्म जल ( जलवाष्प निकाय )
निकाय के गुण (Property of system )
ऊष्मागतिकी द्रव्य के परिमाणात्मक व्यवहार से सम्बन्धित है । अतः ऐसे गुण जो तंत्र के परिमाण से उत्पन्न होते हैं , उनको तन्त्र के स्थूल गुण कहते हैं ।
उदाहरण : दाब , आयतन , तापमान , पृष्ठ तनाव , श्यानता , घनत्व आदि । स्थूल गुणों को निम्न दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है ।
i ) सघन गुण ( Intensive properties ) : ये ऐसे गुण हैं , जिनका मान निकाय तंत्र में उपस्थित पदार्थ की मात्रा पर निर्भर नहीं करता है ।
उदाहरण : दाब , ताप , घनत्व , विशिष्ट ऊष्मा , पृष्ठ तनाव , अपवर्तनांक , श्यानता , गलनांक , क्वथनांक , आयतन प्रतिमोल , सान्द्रता आदि ।
ii ) विस्तृत गुण ( Extensive properties ) : वे गुण जो निकाय तंत्र में उपस्थित पदार्थ की मात्रा पर निर्भर करते हैं , विस्तृत गुण कहलाते हैं ।
उदाहरण : कुल द्रव्यमान , आयतन , आन्तरिक ऊर्जा , एन्थैल्पी , एन्ट्रॉपी आदि । ये योगशील प्रकृति के गुण होते हैं ।
यदि किसी विस्तृत गुण को प्रतिमोल या प्रतिग्राम में दर्शाते हैं तो यह सघन गुण में परिवर्तित हो जाता है । जैसे द्रव्यमान तथा आय विस्तृत गुण हैं ।
निकाय तंत्र की अवस्था तथा अवस्था परिवर्तन
State of a system and state variable
वे स्थूल गुण जो निकाय तंत्र की स्थिति को निर्धारित करते हैं , उन्हें अवस्था परिवर्ती ( State variable ) या अवस्था फलन या ऊष्मागतिक पैरामीटर कहते हैं ।
अवस्था गुणों में परिवर्तन निकाय तंत्र की प्रारम्भिक तथा अंतिम अवस्थाओं पर निर्भर करता है । यह उस विधि से स्वतंत्र रहता है जिनके द्वारा यह परिवर्तन किया जाता है ।
दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि, अवस्था गुण प्रक्रम के पदों पर निर्भर नहीं करते हैं ।
उदाहरण : दाब , आयतन , ताप , एन्थैल्पी , एण्ट्रॉपी , मुक्त ऊर्जा ।
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