ऑक्सीकरण [Oxidation] तथा अपचयन [Reduction] से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
निम्न सभी टॉपिक की महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी गयी है
- ऑक्सीकरण ( Oxidation )
- ऑक्सीकरण की इलेक्ट्रॉनीय धारणा
- अपचयन ( Reduction )
- अपचयन की इलेक्ट्रॉनीय धारणा
ऑक्सीकरण ( Oxidation )
किसी पदार्थ का ऑक्सीजन या अन्य ऋणविद्युती तत्त्व या मूलक जैसे— F , CI , Br , I या S के साथ जुड़ना ( समावेश ) ऑक्सीकरण या उपचयन कहलाता है ।
उदाहरण-
2Zn (s) + O2 (g) → 2ZnO (s)
2H2 (g) + O2 (g) → 2H2O (l)
Mg (s) + F2 (g) → MgF2(s)
Mg (s) + Cl2 (g) → MgCl2 (s)
Mg ( s ) + S ( s ) → MgS(s)
FeCl2 ( s ) + Cl2 ( g ) → FeCl3 (s)
SnCl2 ( aq ) + Cl2 ( g ) SnCl4 (aq)
किसी पदार्थ में से हाइड्रोजन या किसी धनविद्युती तत्त्व का निकलना भी ऑक्सीकरण कहलाता है ।
उदाहरण–
CH4 (g) + 2O2 (g) CO2 (g) + 2H2O (l)
यहाँ CH4 , में हाइड्रोजन के स्थान पर ऑक्सीजन आ गया है । अर्थात् हाइड्रोजन का निष्कासन हो रहा है ।
CH3-CH2-OH → CH3CHO + H2
इस अभिक्रिया में CH3-CH2-OH में H2, निकल कर CH3CHO बन रहा है अतः यहाँ CH3-CH2-OH का ऑक्सीकरण हो रहा है ।
H2S + I2 → S + 2HI
4HI + O2 → 2I2 + 2H2O
2H2S + O2 → 2S + 2H2O
H2S तथा HI में से हाइड्रोजन निकल रही है अतः इनका ऑक्सीकरण हो रहा है ।
2KI + H2O2 → 2KOH + I2
2K4[Fe(CN)6] + H2O2 (aq) → 2K3Fe(CN)6] (aq) + 2KOH (aq)
इन दोनों अभिक्रियाओं में धनविद्युती तत्त्व K निकल रहा है अतः ऑक्सीकरण हो रहा है ।
किसी तत्त्व की संयोजकता में वृद्धि होना भी ऑक्सीकरण ही होता है ।
उदाहरण – PCl3 + Cl2 → PCl5
इस अभिक्रिया में P की संयोजकता 3 से 5 हो रही है अतः यहाँ PCl3 का PCl5, में ऑक्सीकरण हो रहा है ।
ऑक्सीकरण की इलेक्ट्रॉनीय धारणा
( Electronic Concept of Oxidation )
ऑक्सीकरण ( Oxidation ) – जब किसी परमाणु , अणु या आयन में से इलेक्ट्रॉन का निष्कासन होकर ऑक्सीकरण अंक में वृद्धि होती है तो इस अभिक्रिया को ऑक्सीकरण कहा जाता है ।
ऑक्सीकरण में धनावेश में वृद्धि अथवा ऋणावेश में कमी होती है । अतः ऑक्सीकरण एक विइलेक्ट्रॉनीकरण ( De – electronation ) प्रक्रम है ।
उदाहरण
Mg → Mg2+ + 2e–
Zn → Zn2+ + 2e–
Fe2+ → Fe3+ + e–
Sn2+ → Sn4+ +2e–
2Cl– → Cl2 + 2e–
[ Fe(CN)6]4- → [ Fe(CN)6]3- + e–
H2S → 2H+ + S + 2e–
परमाणुओं द्वारा इलेक्ट्रॉन का त्याग करने पर वे धनायनों में परिवर्तित हो जाते हैं लेकिन जब धनायन इलेक्ट्रॉन का त्याग करता है तो वह अधिक धनावेशित हो जाता है तथा ऋणायन द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागने पर वह कम ऋणावेशित आयन या उदासीन अणु में परिवर्तित हो जाता है ।
लेकिन जब एक अणु द्वारा इलेक्ट्रॉन का त्याग किया जाता है तो वह धनायन तथा अन्य स्पीशीज बनाता है ।
अपचयन ( Reduction )
किसी पदार्थ में से ऑक्सीजन या अन्य ऋणविद्युती तत्त्व का निकलना ( निष्कासन ) अपचयन कहलाता है ।
उदाहरण
2HgO → 2Hg + O2
ZnO + H2 → Zn + H2O
यहाँ HgO तथा ZnO में से ऑक्सीजन का निष्कासन होकर अपचयन हो रहा है ।
2FeCl3 + H2S → 2FeCl2 + 2HCl + S
2FeCl3 + H2 → 2FeCl2 + 2HCI
इन दोनों अभिक्रियाओं में फेरिक क्लोराइड (FeCl3) में से क्लोरीन का निष्कासन होकर FeCl2 ( फेरस क्लोराइड ) बन रहा है । अतः अपचयन हो रहा है ।
2Hg2Cl2 → 2HgCl2 + Cl2
यहाँ Hg2Cl2 का HgCl2 में अपचयन हो रहा है क्योंकि Cl2 का निष्कासन हो रहा है ।
किसी पदार्थ के साथ हाइड्रोजन या किसी धनविद्युती तत्त्व के जुड़ने को अपचयन कहते हैं ।
उदाहरण
CH2 = CH2 + H2CH3 – CH3
H2 + Cl2 → 2HCl
यहाँ एथीन तथा क्लोरीन में H2 का योग हो रहा है अतः इनका अपचयन हो रहा है ।
Cl2 + Mg → MgCl2 इस अभिक्रिया में Cl , में धनविद्युती तत्त्व ( Mg ) जुड़ रहा है अतः Cl2 , MgCl2 में अपचयित हो रही है ।
किसी तत्त्व की संयोजकता में कमी होना भी अपचयन कहलाता है ।
उदाहरण
2FeCl3 (s) → 2FeCl2 (s) + Cl2 (g)
यहाँ Fe की संयोजकता 3 से 2 हो रही है अत : FeCl3 का FeCl2 में अपचयन हो रहा है ।
ऑक्सीकरण ( उपचयन ) तथा अपचयन प्रक्रम साथ – साथ होते हैं अतः ये एक – दूसरे के पूरक होते हैं । यदि किसी अभिक्रिया में एक पदार्थ का ऑक्सीकरण होता है तो दूसरे पदार्थ का अपचयन होगा इसी कारण इन्हें संयुक्त रूप से अपचयोपचय ( अपचयन + उपचयन ) अभिक्रिया ( Redox Reaction = Reduction + Oxidation ) कहते हैं ।
वह पदार्थ जिसका अपचयन होता है वह ऑक्सीकारक कहलाता है क्योंकि यह दूसरे पदार्थ का ऑक्सीकरण करता है तथा वह पदार्थ जिसका ऑक्सीकरण होता है उसे अपचायक कहते हैं क्योंकि यह दूसरे पदार्थ का अपचयन करता है ।जैसे –
2HgCl2 (aq) + SnCl2 (aq) → Hg2Cl2 (s) + SnCl4 (aq)
इस अभिक्रिया में मरक्यूरिक क्लोराइड ( HgCl2 ) का मरक्यूरस क्लोराइड ( Hg2Cl2 ) में अपचयन हो रहा है तथा स्टैनस क्लोराइड ( SnCl2 ) का स्टैनिक क्लोराइड ( SnCl4 ) में ऑक्सीकरण हो रहा है ।
इसी प्रकार अभिक्रिया
Fe (s) + CuSO4 (aq) → FeSO4 (aq) + Cu (s)
में Fe का FeSO4 में ऑक्सीकरण हो रहा है जबकि CuSO4 का Cu में अपचयन हो रहा है ।
अपचयन की इलेक्ट्रॉनीय धारणा
( Electronic Concept of Reduction )
वह प्रक्रम जिसमें किसी परमाणु , अणु या आयन द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है , उसे अपचयन कहते हैं ।
अतः अपचयन ऑक्सीकरण अंक में कमी होती है तथा इससे धनावेश में कमी अथवा ऋणावेश में वृद्धि होती है । इसलिए अपचयन एक इलेक्ट्रॉनीकरण ( Electronation ) प्रक्रम है ।
उदाहरण
Cl + e– → Cl–
S + 2e– → S2-
Na+ + e– → Na
Mg2+ + 2e– → Mg
Fe3+ + e– → Fe2+
MnO4– + e– → MnO42-
O2 + 4e– → 2O2-
MnO2 + 4H+ + 2e– → Mn2+ + 2H2O
जब किसी उदासीन परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है तो वह ऋणायन में परिवर्तित हो जाता है । लेकिन धनायन इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके कम धनावेशित अथवा उदासीन हो जाता है तथा ऋणायन द्वारा इलेक्ट्रॉन के ग्रहण करने पर वह अधिक ऋणावेशित हो जाता है । लेकिन जब किसी अणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है तो विभिन्न स्पीशीज बनती हैं ।