रेडोक्स अभिक्रिया | अपचयोपचय अभिक्रिया [ Redox Reaction ] से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। निम्न सभी टॉपिक की महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी गयी है
- अपचयोपचय ( रेडोक्स अभिक्रिया )
- ऑक्सीकारक तथा अपचायक पदार्थ
- अपचयोपचय अभिक्रियाओं के प्रकार
अपचयोपचय ( रेडोक्स अभिक्रिया )
अपचयोपचय अभिक्रिया ( Redox Reaction ) ऑक्सीकरण तथा अपचयन की अभिक्रियाओं में वह पदार्थ जो इलेक्ट्रॉन देता है उसका ऑक्सीकरण होता है तथा पदार्थ जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है उसका अपचयन होता है तथा इस सम्पूर्ण अभिक्रिया को अपचयोपचय ( रेडोक्स अभिक्रिया ) अभिक्रिया कहते हैं ।
उदाहरण –
2 Na (s) + H2 (g) → 2NaH ( s )
क्योंकि उपरोक्त अभिक्रिया में बनने वाला यौगिक एक आयनिक पदार्थ है , जिसे Na+H– से प्रदर्शित किया जा सकता है , अतः इसकी अर्द्धअभिक्रिया इस प्रकार होगी –
2 Na (s) → 2Na+(g) + 2e–
तथा दूसरी अर्ध – अभिक्रिया
H2 (g) + 2e– → 2H– (g)
इस अभिक्रिया का दो अर्द्धअभिक्रियाओं में विभाजन , सोडियम के ऑक्सीकरण तथा हाइड्रोजन के अपचयन का प्रदर्शन करता है अतः इस सम्पूर्ण अभिक्रिया को अपचयोपचय अभिक्रिया कहते हैं ।
Zn (s) + Cu2+ (aq) → Zn2+(aq) + Cu (s)
इस अभिक्रिया में Zn से इलेक्ट्रॉनों का निष्कासन होकर Zn2+ बन रहा है अतः इसका ऑक्सीकरण हो रहा है तथा जिंक धातु से प्राप्त इलेक्ट्रॉन Cu2+ द्वारा ग्रहण किए जा रहे हैं जिससे वह कॉपर में अपचयित हो रहा है ।
Zn (s){-2e का निष्कासन} + Cu+ (aq) → Zn2+ (aq) + Cu (s) {2e– की प्राप्ति}
अपचयोपचय अभिक्रियाओं के प्रकार
ये अभिक्रियाएँ चार प्रकार की होती हैं—
( i ) योगात्मक अभिक्रियाएँ – इन अभिक्रियाओं में दो पदार्थ संयोग करते हैं जिनमें कम से कम एक तत्त्व होना चाहिए।
उदाहरण → C + O2 → CO2
3Mg + N2 → Mg3N2
एक दहन की सभी अभिक्रियाएँ इस श्रेणी में रखी जाती हैं ।
( ii ) अपघटन अभिक्रियाएँ – इन अभिक्रियाओं यौगिक दो या अधिक पदार्थों में टूटता है , जिनमें से एक तत्त्व के रूप में होता है ।
उदाहरण
2H2O (l) – → 2H2 (g) + O2 (g)
( iii ) विस्थापन अभिक्रियाएँ — ये वे रासायनिक अभिक्रियाएँ | हैं जिनमें एक यौगिक का परमाणु अथवा आयन दूसरे तत्व के परमाणु अथवा आयन के द्वारा विस्थापित होता है । विस्थापन अभिक्रियाओं को दो उपवर्गों में विभाजित किया | जाता है—
( a ) धातु विस्थापन – इन अभिक्रियाओं में एक धातु दूसरी | धातु को विस्थापित करती है लेकिन प्रबल अपचायक धातु ही दुर्बल अपचायक धातु को विस्थापित करती है ।
उदाहरण
CuSO4 (aq) + Zn ( s ) → ZnSO4 (aq) + Cu (s)
( b ) अधातु विस्थापन – इन अभिक्रियाओं में धातु अथवा अधातु अन्य किसी अधातु को उसके यौगिक में से विस्थापित करता है ।
उदाहरण Na (s) + 2H2O (l) ← → NaOH (aq) + H2 (g)
( iv ) असमानुपातन अभिक्रियाएँ– ये एक विशेष प्रकार की अपचयोपचय अभिक्रियाएँ हैं जिनमें किसी तत्व की एक ऑक्सीकरण अवस्था , एक साथ ऑक्सीकृत तथा अपचयित होती है ।
उदाहरण – 2H2O2 (aq) → 2H2O (l) + O2 (g)
ऑक्सीकारक तथा अपचायक पदार्थ
( Oxidizing Agent and Reducing Agent )
ऑक्सीकारक ( Oxidant )
वह पदार्थ जो दूसरे पदार्थ का ऑक्सीकरण करता है तथा स्वयं अपचयित होता है उसे ऑक्सीकारक कहते हैं , अत : ऑक्सीकारक , इलेक्ट्रॉनग्राही अभिकर्मक होता है ।
इसलिए किसी पदार्थ की ऑक्सीकारक क्षमता उसकी इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति के समानुपाती होती है ।
जब किसी यौगिक में उपस्थित तत्त्व अपनी उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था में होता है तो वह यौगिक प्रबल ऑक्सीकारक होगा ।
प्रमुख ऑक्सीकारकों के उदाहरण निम्नलिखित हैं K2Cr2O7 , KMnO4 , CuSO4 HClO4 , HNO3 , F2 , Cl2 Br2 , I2 , C6H5NO2 इत्यादि ।
अपचायक ( Reductant )
वह पदार्थ जो दूसरे पदार्थ का अपचयन करता है तथा स्वयं ऑक्सीकृत हो जाता है उसे अपचायक कहा जाता है । अतः अपचायक , इलेक्ट्रॉनदाता अभिकर्मक होता है
इसलिए किसी पदार्थ की अपचायक क्षमता उसकी इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति के समानुपाती होती है ।
जब किसी यौगिक में उपस्थित तत्त्व अपनी निम्नतम ऑक्सीकरण अवस्था में होता है तो वह यौगिक प्रबल अपचायक होगा ।
प्रमुख अपचायकों के उदाहरण
FeSO4 , FeSO4.(NH4)2 SO4.6H2O ,धातुएँ, H2S , HI , HBr , HCI , फैरस ऑक्जेलेट ( FeC2O4 ) , ऑक्जेलिक अम्ल ( H2C2O4 ) , सोडियम थायोसल्फेट ( Na2S2O3 ) , लीथियम ऐलुमिनियमहाइड्राइड ( LiAIH4) , सोडियम बोरोहाइड्राइड ( NaBH4 )
कुछ यौगिक ऐसे होते हैं जिनमें उपस्थित तत्त्व अपनी मध्यवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था में होता है तो वे यौगिक परिस्थितियों के अनुसार ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों के रूप में कार्य करते हैं ।
उदाहरण- H2O2 , SO2 , MnO2 तथा O3