प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन की खोज कब हुई और किसने की ?

प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन की खोज से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां इसमें शामिल की गई है सबसे पहले समझते हैं प्रोटॉन और न्यूट्रॉन कहां होते हैं और परमाणु किसे कहते हैं?
‘परमाणु’ शब्द का मूल अर्थ ‘एक कण जिसे छोटे-छोटे कणों में विभाजित नहीं किया जा सकता’ था, लेकिन आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगों से पता चलता है कि एक परमाणु विभिन्न उप-परमाणु कणों से बना होता है। इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन एक परमाणु के उप-परमाणु कण हैं; हालाँकि, हाइड्रोजन परमाणुओं में न्यूट्रॉन नहीं होते हैं।

  • इलेक्ट्रॉन की खोज जे जे थॉमसन ने की थी।
  • प्रोटॉन की खोज रदरफोर्ड ने की थी।
  • न्यूट्रॉन की खोज जेम्स चैडविक ने की थी।

प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन की खोज

गोल्डस्टीन ने छिद्रदार कैथोड युक्त विसर्जन नलिका में इलेक्ट्रॉडों पर उच्च विभव लगाया तो देखा कि कैथोड के पीछे की तरफ हल्की दीप्ति उत्पन्न होती है।

इससे ज्ञात हुआ कि कैथोड किरणों के अतिरिक्त ऐनोड से भी किरणें निकलती हैं जो कि कैथोड के छिंद्रों से पार होकर सीधी रेखा में गमन करती हैं। ये किरणें धनावेशित कणों से मिलकर बनी हैं अतः इन्हें धन किरणें कहते हैं। इन्हें कैनाल किरणें या एनोड किरणें भी कहते हैं।
इन धनावेशित कणों के अभिलक्षण :

  1. धनावेशित कण कैथोड किरण नलिका में उपस्थित गैस की प्रकृति पर निर्भर करते हैं तथा ये साधारण धनावेशित गैसीय आयन होते हैं ।
  2. इनका वेग कैथोड किरणों से कम होता है।
  3. कणों के आवेश और द्रव्यमान का अनुपात उस गैस पर निर्भर करता है, जिससे ये उत्पन्न होते हैं।
  4. इनकी भेदन क्षमता कैथोड किरणों से कम होती हैं।
  5. चुम्बकीय तथा विद्युत क्षेत्रों में इन कणों का व्यवहार इलेक्ट्रॉन अथवा कैथोड किरण के व्यवहार के विपरीत होता है अर्थात् ये कण ऋणावेशित प्लेट की ओर मुड़ जाते हैं, इससे सिद्ध होता है कि ये धनावेशित कण हैं।
  6. धन किरणों के प्रत्येक कण का द्रव्यमान विसर्जन नलिका में प्रयुक्त गैस के परमाणु भार के लगभग समान होता है।

इस प्रयोग के निष्कर्षों के आधार पर :

प्रोटॉन की खोज :

रदरफोर्ड ने H2 से प्राप्त धन किरणों के कणों को प्रोटोन नाम दिया। सभी गैसों के लिए आवेश (e) का मान समान होता है अतः हाइड्रोजन के लिए e/m का मान अधिकतम आता है क्योंकि इसका द्रव्यमान (m) सबसे कम होता है। विसर्जन नलिका में हाइड्रोजन गैस लेने पर सबसे छोटे तथा हल्के इकाई धनावेश वाले कण प्राप्त होते हैं जिन्हें प्रोटॉन कहते हैं।

प्रोटॉन का द्रव्यमान, हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है जिसका मान 1.672 x 10-24 ग्राम है। प्रोटॉन भी द्रव्य का एक मौलिक कण है जिस पर इकाई धनावेश (1.6022 x 10-19 कूलाम) होता है।

न्यूट्रॉन की खोज

जेम्स चैडविक (1932) ने Be पर एल्फा कणों के प्रहार से न्यूट्रॉन की खोज की। यह उदासीन कण होता है जो कि परमाणु के नाभिक में पाया जाता है तथा इसका द्रव्यमान प्रोटॉन से कुछ अधिक होता है। इन्हें के 0n1 द्वारा प्रदर्शित करते है।

1920 में, रदरफोर्ड ने अपने प्रयोगों के आधार पर, एक परमाणु के नाभिक में एक कण की उपस्थिति की संभावना का भी सुझाव दिया जिसका द्रव्यमान लगभग प्रोटॉन के द्रव्यमान के बराबर है और विद्युत आवेश रहित उदासीन कण हो, और अंत में जेम्स चाडविक ने 1931 में अपने प्रयोग द्वारा परमाणु के नाभिक में इस कण की खोज की और इसे न्यूट्रॉन नाम दिया।

न्यूट्रॉन सभी प्रकार के पदार्थ के एक परमाणु के नाभिक में पाया जाने वाला एक उप-परमाण्विक कण है। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन मिलकर एक परमाणु के नाभिक का निर्माण करते हैं। एक न्यूट्रॉन 1.67493 × 10-27 किग्रा के द्रव्यमान वाला एक एक विद्युत उदासीन कण है , जो एक इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान का 1,839 गुना है। न्यूट्रॉन पूर्ण रूप से एक मूलभूत कण नही है

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