समतल दर्पण से प्रकाश परावर्तन के नियम इस पोस्ट में, हमने समतल दर्पण से प्रकाश परावर्तन के नियम से संबंधित सभी महत्वपूर्ण बातों को शामिल किया है।
जैसे समतल दर्पण से प्रकाश परावर्तन के नियम , समतल सतह से परावर्तन ,समतल दर्पण से परावर्तन नियम समतल दर्पण में वस्तु दूरी और प्रतिबिंब दूरी में क्या संबंध है? समतल दर्पण के प्रश्न इन टॉपिक की सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी है।
प्रकाश के परावर्तन के नियम को समझने से पहले कुछ महत्वपूर्ण शब्दों के अर्थ
परावर्तित किरण: परावर्तित किरण, परावर्तन बिंदु से दर्पण द्वारा वापस भेजी जाने वाली प्रकाश किरण है।
अभिलम्ब : परावर्तन बिंदु से परावर्तन सतह के लंबवत खींची गयी रेखा को अभिलम्ब कहते है
परावर्तन कोण: परावर्तन किरण के द्वारा अभिलम्ब से निर्मित कोण को परावर्तन का कोण कहा जाता है। आपाती किरण, आपतन बिंदु पर अभिलंब और परावर्तित किरण सभी एक ही समतल में स्थित होते हैं।
समतल दर्पण समतल सतह से परावर्तन
एक बिन्दु वस्तु ( O ) का समतल दर्पण द्वारा प्राप्त प्रतिबिम्ब ( I ) चित्र में प्रदर्शित है ।
समतल सतह/ दर्पण से परावर्तन
समतल दर्पण से परावर्तन नियम
( i ) प्रतिबिम्ब का आकार = वस्तु का आकार
( ii ) प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी = वस्तु की दर्पण से दूरी or MO = MI
( iii ) प्रतिबिम्ब आभासी , सीधा तथा पाश्विक रूप से व्युत्क्रमित बनता है अर्थात् वस्तु का दायाँ भाग प्रतिबिम्ब में बाएँ प्राप्त होता है ।
समतल दर्पण से परावर्तन
( i ) यदि दो समतल दर्पण के बीच कोण है। तब प्रतिबिम्बों की संख्या n
( ii ) θ कोण पर झुके दो समतल दर्पणों द्वारा उत्पन्न विचलन
विचलन कोण = 360° – 2 θ
समतल दर्पण में वस्तु दूरी और प्रतिबिंब दूरी में क्या संबंध है?
( iii ) ऊँचाई h वाले व्यक्ति को अपना पूर्ण प्रतिबिम्ब देखने के लिए आवश्यक समतल दर्पण की न्यूनतम ऊँचाई h/2 होती है ।
( iv ) एक व्यक्ति एक कमरे के ठीक बीच में खड़ा होकर अपने पीछे की सम्पूर्ण दीवार का प्रतिबिम्ब सामने की दीवार में लगे समतल दर्पण में देखना चाहे तो दर्पण का न्यूनतम आकार दीवार के आकार का एक – तिहाई होना चाहिए ।
( v ) जब कोई व्यक्ति समतल दर्पण की ओर v वेग से चलता है तो उसे दर्पण में अपना प्रतिबिम्ब 2v वेग से गति करता हुआ प्रतीत होता है ।
( vi ) जब समतल दर्पण v चाल से स्थिर व्यक्ति की ओर गति करता है तो प्रतिबिम्ब 2v चाल से व्यक्ति की ओर गति करता है ।
( vii ) जब समतल दर्पण के सम्मुख रखी वस्तु स्थिर है तथा दर्पण वस्तु की ओर x दूरी चलता है तो उसका प्रतिबिम्ब भी x विस्थापित हो जाता है ।
( viii ) समतल दर्पण की फोकस दूरी तथा वक्रता त्रिज्या दोनों अनन्त होती हैं जबकि क्षमता शून्य होती है ।
( ix ) समतल दर्पण के लिए आवर्धन क्षमता + 1 होती है
( x ) समतल दर्पण से प्रकाश किरण के परावर्तन के लिए उत्पन्न विचलन कोण 180 ° -2 θ होता है ।
( xi ) जब स्थिर समतल दर्पण की ओर वस्तु x दूरी चलती है तो उसका प्रतिबिम्ब भी x दूरी दर्पण की ओर विस्थापित हो जाता है ।
( xii ) यदि समतल दर्पण एवं वस्तु दोनों विपरीत दिशाओं में x दूरी चलते है तो प्रतिबिम्ब 3x दूरी चलता है ।
( xiii ) दो परस्पर लम्बवत् समतल दर्पणों द्वारा बिन्दु वस्तु के तीन प्रतिबिम्ब बनते है जो कि एक वृत्त पर स्थित होते हैं जिसका केन्द्र दर्पणों का प्रतिच्छेद बिन्दु ( C ) होता है ।
समतल दर्पण के उपयोग
समतल दर्पण के प्रश्न
Q 1. दो समतल दर्पण परस्पर समकोण बनाते हैं एक आदमी उनके बीच खड़ा होकर दाहिने हाथ से अपने बाल संवारता है । कितने प्रतिबिम्बों में यह अपना दाहिना हाथ प्रयोग करता दिखाई पड़ेगा ?
हल . व्यक्ति के तीन प्रतिबिम्ब प्राप्त होगे जिनमें दो प्रतिबिम्बों मे व्यक्ति अपने आपको बाएँ हाथ का उपयोग करते हुए तथा केवल एक प्रतिबिम्ब में दाहिने हाथ का उपयोग करते हुए दिखाई देगा ।
Q 2. एक मनुष्य 15 मी / से की चाल से एक दर्पण की ओर दौड़ता है । इसके प्रतिबिम्ब की चाल क्या होगी ?
हल . मनुष्य 15 मी / से की चाल से दर्पण की ओर गति करेगा । तब प्रतिबिम्ब भी दर्पण की ओर 15 मी / से की चाल से गति करेगा । अत : व्यक्ति के सापेक्ष प्रतिबिम्ब की चाल 30 मी / से होगी ।