विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव -चुम्बकीय क्षेत्र | बायो – सेवर्टका नियम| ऐम्पियर का नियम | चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र ( Magnetic Field )
एक धारावाही चालक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें चुम्बकीय प्रभाव का अनुभव होता है , चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है ।
magnetic effect of electric current in Hindi
चुम्बकत्व ( magnetics ) में किसी बिन्दु पर ‘ चुम्बकीय क्षेत्र की गणना के लिए मूलभूत ( basically ) दो विधि है ।
इनमें से एक बायो – सेवर्ट ( Biot Savart ) नियम है जो किसी बिन्दु पर अनन्त सूक्ष्म ( infinitesimal ) धारावाही तार के कारण चुम्बकीय क्षेत्र दर्शाता है
तथा अन्य ऐम्पियर ( Ampere ) का नियम है जो स्थायी धारा ( steady current ) वाले अधिक सममित रचना ( highly symmetric configuration ) के चुम्बकीय क्षेत्र की गणना में लाभदायक है ।
बायो – सेवर्ट का नियम ( Biot – Savart’s Law )
बायो-सेवर्ट नियम क्या है ?
इस नियम अनुसार धारावाही चालक के कारण किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र ज्ञात किया जाता है
बिंदु P पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता
dB ∝ I ( धारा )
dB ∝ dl (अल्पांश की लंबाई )
अल्पांश की लंबाई द्वारा बिंदु p को मिलाने वाली रेखा के बीच बने कोण dB ∝ sinθ
अल्पांश से बिंदु p तक की दूरी dB ∝ 1/r2
|dB|=\frac{\mu_\circ}{4\pi}\left(\frac{Idl\sin\theta}{r^2}\right)
ऐम्पियर का परिपथीय नियम ( Ampere’s Circuital Law )
इस नियम के अनुसार , ” किसी बन्द पथ या परिपथ के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र के रेखीय समाकलन ( linear integral ) का मान , उस पथ से घिरे पृष्ठ से गुजरने वाली कुल धारा के मान का μoगुना होता है ।
\int B.dl=\mu_\circ I_{net}
इसका सरलतम रूप है ,
B.l=\mu_\circ I_{net}
μo = permeability of free space = 4 π × 10-15 N/ A2
यह समीकरण निम्न शर्तों में ही प्रयोग की जाती है
( a ) बन्द पथ के प्रत्येक बिन्दु पर ,
( b ) बन्द पथ के प्रत्येक स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण समान रहता है ।
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के नियम ( Rules to Find the Direction of Magnetic Field )
दाएँ हाथ की हथेली का नियम ( Right Hand Palm Rule )
यदि हम दाएँ हाथ की हथेली को इस प्रकार फैलाएँ कि अंगूठा चालक में प्रवाहित धारा की दिशा में हो तथा अँगुलियाँ माध्यम के उस बिन्दु की ओर हों जिस पर हमें क्षेत्र की दिशा ज्ञात करनी है , तब चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा हथेली के लम्बवत् बाहर की ओर दिष्ट होती है ।
यदि हम पेंचकस को दाएँ हाथ से पकड़कर पेंच को इस प्रकार घुमायें कि पेंच की नोक चालक में बहने वाली धारा की दिशा में आगे बढ़े तो माध्यम के किसी बिन्दु पर जिस दिशा में अँगूठा घूमता है , वही दिशा उस बिन्दु पर चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा होती है ।
धारावाही चालक द्वाराउत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा बिन्दु P पर कागज के तल के लम्बवत् अन्दर की ओर तथा बिन्दु P ‘ पर कागज के तल के लम्बवत् बाहर की ओर होती है ।