रासायनिक आबंधन – अनुनाद [ Resonance ] तथा अनुनाद संरचनाएँ से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
- अनुनाद तथा अनुनाद संरचनाएँ
- अनुनाद के नियम ( Rules of Resonance )
- अनुनाद ऊर्जा ( Resonance Energy )
जैसे महत्वपूर्ण टॉपिक से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी है।
अनुनाद तथा अनुनाद संरचनाएँ
( Resonance and Resonating Structures )
जब किसी अणु को केवल एक लूइस संरचना द्वारा नहीं दर्शाया जा सके , तो समान ऊर्जा , नाभिकों ( परमाणुओं ) की समान स्थितियों तथा समान आबंधी एवं अनाबंधी इलेक्ट्रॉन युग्मों युक्त कई संरचनाएँ लिखी जाती हैं । इन्हें अनुनादी संरचनाएँ कहते हैं तथा इन अनुनादी संरचनाओं के मिश्रित रूप को अनुनाद संकर कहते हैं जो कि अणु की वास्तविक स्थिति को दर्शाता है तथा इस धारणा को अनुनाद कहते हैं ।
अनुनाद को दो सिरों वाले तीर के निशान द्वारा दर्शाया जाता है ।
अनुनाद के नियम ( Rules of Resonance )
- अनुनाद यौगिक को स्थायित्व प्रदान करता है , क्योंकि अनुनाद संकर की ऊर्जा किसी भी विहित ( अनुनादी ) संरचना की ऊर्जा से कम होती है ।
- अनुनाद के कारण आबंधों के लक्षण ( बन्ध लम्बाई , बन्ध ऊर्जा आदि ) औसत मान प्राप्त करते हैं ।
- विहित संरचनाओं का वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं होता है ।
- यौगिक का अणु कुछ समय के लिए किसी एक विहित संरचना के रूप में उपस्थित हो , जबकि कुछ समय किसी दूसरी विहित संरचना के रूप में रहे , वास्तव में ऐसा नहीं होता है ।
- विहित संरचनाओं में चलावयवों ( कीटो तथा इनॉल ) के मध्य पाए जाने वाले साम्य जैसा कोई साम्य नहीं होता है ।
- अणु की केवल वास्तविक एक संरचना होती है , जो कि विहित संरचनाओं का अनुनाद संकर होती है । लेकिन उसे केवल एक लूइस संरचना द्वारा प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है ।
- विभिन्न अनुनादी संरचनाओं ( विहित रूप ) में केवल इलेक्ट्रॉनों की व्यवस्था बदलती है , परमाणु की नहीं ।
- अनुनादी संरचनाओं में बन्धित तथा एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्मों की संख्या का योग समान रहता है ।
- अनुनादी संरचनाओं की ऊर्जा लगभग समान होती है ।
- अनुनादी संरचनाओं में दो पास – पास स्थित परमाणुओं पर समान आवेश नहीं होना चाहिए तथा विपरीत आवेश अधिक पृथक् होने चाहिए ।
SO3 NO2 अनुनाद संरचनाएँ
अनुनाद ऊर्जा ( Resonance Energy )
किसी यौगिक में सर्वाधिक स्थायी अनुनादी संरचना ( सबसे कम ऊर्जा की संरचना ) की ऊर्जा तथा अनुनाद संकर की ऊर्जा का अन्तर अनुनाद ऊर्जा कहलाता है ।
सामान्यतः यह प्रायोगिक तथा सैद्धान्तिक संभवन ऊष्माओं के अन्तर के बराबर होती है । अनुनाद ऊर्जा का मान अधिक होने पर अणु का स्थायित्व अधिक होता है ।
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