[ periodic table in Hindi ] यहाँ मेंडलीफ/मेंडलीव का आवर्ती वर्गीकरण आवर्त सारणी के गुण एवं दोष से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
इस आर्टिकल में आधुनिक दीर्घ आवर्त सारणी [ periodic table in hindi ] की सभी महत्वपूर्ण जानकारी है।
आधुनिक आवर्त सारणी आवर्त सारणी में वर्ग किसे कहते हैं आवर्त सारणी में कितने वर्ग हैं?
सन् 1913 में अंग्रेज वैज्ञानिक हेनरी मोजले ने देखा कि तत्त्वों के अभिलाक्षणिक X- किरण स्पेक्ट्रमों में नियमितता होती है तथा (√v = X- किरण की आवृत्ति ) व परमाणु क्रमांक ( Z ) के मध्य आलेख एक सरल रेखा होती है । परन्तु परमाणु द्रव्यमान व √v के मध्य आलेख सरल रेखा नहीं होती ।
आधुनिक आवर्त सारणी के खोजकर्ता कौन है?
👉वैज्ञानिक हेनरी मोजले
अतः मोजले ने Z व V के मध्य निम्नलिखित सम्बन्ध दिया
\sqrt{v} =a(Z-b)
यहाँ a व b स्थिरांक हैं ।
इस आधार पर उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि परमाणु क्रमांक तत्त्वों का मौलिक गुण है न कि परमाणु द्रव्यमान एवं यह तत्त्व के गुणों को दर्शाने में अधिक सक्षम है । इसी के आधार पर मेंडलीव के आवर्त नियम में संशोधन किया गया , जिसे आधुनिक आवर्त नियम कहते हैं ।
आधुनिक आवर्त नियम किसे कहते हैं
आधुनिक आवर्त नियम अनुसार ” तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं । ” अर्थात् तत्त्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने पर एक निश्चित अन्तराल के बाद समान गुणधर्मों वाले तत्त्वों की पुनरावृत्ति होती है ।
यह आवर्त नियम ही आवर्त सारणी के दीर्घ स्वरूप का आधार है । आवर्त सारणी का दीर्घ स्वरूप आवर्त सारणी के दीर्घ स्वरूप में क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त ( period ) तथा ऊर्ध्वाधर स्तम्भों को वर्ग ( group ) कहते हैं ।
इसमें समान बाह्यतम इलेक्ट्रॉन विन्यास वाले तत्त्वों को समान वर्ग ( परिवार ) में रखा जाता है । आवर्त सारणी में कुल सात आवर्त हैं ।
आवर्त संख्या , आवर्त में तत्त्व की अधिकतम मुख्य क्वान्टम संख्या ( n ) होती है । प्रथम से षष्ठम आवर्त में तत्त्वों की संख्या क्रमश : 2 , 8 , 8 , 18 , 18 तथा 32 है लेकिन सातवाँ आवर्त अपूर्ण है । छठे तथा सातवें आवर्त के लैन्थेनॉयड एवं एक्टिनॉयड तत्त्वों ( 14 + 14 ) को आवर्त सारणी के नीचे अलग से रखा गया है ।
आवर्त सारणी में कितने वर्ग हैं?
IUPAC द्वारा वर्गों के नाम की पुरानी पद्धति I A ……… VII A , VIII तथा I B ….. VII B के स्थान पर नया वर्गीकरण दिया गया है जिसके अनुसार वर्ग संख्या 1 से 18 दी जाती है ।
अतः आधुनिक आवर्त सारणी में वर्गों की कुल संख्या 18 होती है ।
दीर्घ आवर्त सारणी periodic table in hindi से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण बिन्दु
👉प्रथम आवर्त को लघुतम ( 2 तत्त्व ) , द्वितीय एवं तृतीय आवर्त को लघु ( 8 , 8 तत्त्व ) , चतुर्थ व पंचम आवर्त को दीर्घ ( 18 , 18 तत्त्व ) तथा षष्ठम आवर्त को दीर्घतम आवर्त ( 32 तत्त्व ) कहा जाता है । सप्तम आवर्त अभी अपूर्ण है।
👉वर्ग संख्या 1 , 2 व 12 से 17 के तत्त्वों को प्रसामान्य तत्त्व ( Normal Elements ) या प्रतिनिधि तत्त्व ( Representative Elements ) कहा जाता है ।
वर्ग संख्या 3 से 11 तक के तत्त्वों को संक्रमण तत्त्व कहा जाता है । 18 वें वर्ग के तत्त्वों ( अक्रिय गैसों ) को आजकल उत्कृष्ट गैस कहते हैं ।
👉लैन्थेनॉयडों तथा ऐक्टिनॉयडों को सामूहिक रूप से आन्तरिक संक्रमण तत्त्व कहते हैं तथा इन्हें तीसरे वर्ग से सम्बन्धित माना जाता है ।
मेंडलीव की आवर्त सारणी की तुलना में दीर्घ आवर्त सारणी
आवर्त सारणी का दीर्घ स्वरूप , मेंडलीव की आवर्त सारणी की तुलना में अधिक श्रेष्ठ है । इसके निम्नलिखित कारण हैं
👉यह आवर्त सारणी परमाणु क्रमांक पर आधारित है । किसी उदासीन परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या परमाणु क्रमांक के बराबर होती है अत : किसी तत्त्व की आवर्त सारणी में स्थिति इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर निर्धारित होती है तथा तत्त्वों के गुण इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर ही निर्भर करते हैं ।
👉 इस आवर्त सारणी में धातुओं तथा अधातुओं को पूर्ण रूप से पृथक् कर दिया गया है । वर्ग संख्या 1 से 12 तक के तत्त्व धातु तथा वर्ग संख्या 13 से 18 तक के तत्त्वों में धातु , उपधातु तथा अधातु होते हैं । B , Si , As , Te व At के नीचे खींची गयी सीढ़ीनुमा रेखा , आवर्त सारणी को धातुओं ( बाएँ ) तथा अधातुओं ( दाएँ ) में विभाजित करती है ।
👉 उत्कृष्ट गैसों में उपकोश पूर्ण हो जाता है अतः इन्हें आवर्त सारणी के अन्त 18 वें वर्ग में रखा गया है ।
👉 समस्थानिकों तथा समभारिकों की स्थिति की समस्या समाप्त हो गयी है ।
👉 मेंडलीव की आवर्त सारणी के एक ही वर्ग के उपवर्गों को अलग – अलग स्थान देने से विभिन्न गुणों वाले तत्त्व एक वर्ग में न रहकर भिन्न – भिन्न वर्गों में चले गए हैं ।
👉 मेंडलीव की आवर्त सारणी में समान गुणों वाले तत्त्वों को एक ही वर्ग में रखने के लिए परमाणु भार के बढ़ते क्रम में व्यवधान उत्पन्न हो गया था लेकिन इन्हें परमाणु क्रमाक के बढ़ते क्रम के कारण ये स्वतः ही उस क्रम में आ जाते हैं।
👉इस आवर्त सारणी से तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास आसानी से समझा जा सकता है ।
दीर्घ आवर्त सारणी की कमियाँ ( Demerits of Long form of the Periodic Table )
- ( i ) हाइड्रोजन की स्थिति दीर्घ आवर्त सारणी में भी स्पष्ट नहीं है ।
- ( ii ) लैन्थेनॉयडों तथा एक्टिनॉयडों को मूल आवर्त सारणी में स्थान नहीं दिया जा सका है तथा इन्हें आवर्त सारणी के नीचे ही पृथक से रखा गया है
- ( iii ) हीलियम एक उत्कृष्ट गैस है लेकिन इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास अन्य उत्कृष्ट गैसों से भिन्न है ।
बहुत ही उपयोगी जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद
आवर्त सारणी के बारे में बढिया पोस्ट, ऐसे ही useful जानकारी देते रहिये।।