इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आधुनिक आवर्त में तत्वों के प्रकार s p d f- ब्लॉक के तत्त्व

यहाँ इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आधुनिक आवर्त में तत्वों के प्रकार s p d f- ब्लॉक के तत्त्व से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। 

इस आर्टिकल में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में s,p,d,f- ब्लॉक

लेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी को s,p,d,f- ब्लॉक में वर्गीकृत किया गया है जिसमें यह देखा जाता है कि अन्तिम इलेक्ट्रॉन कौनसे कक्षक में भरा गया है लेकिन इसके दो अपवाद हैं 

हाइड्रोजन तथा हीलियम  

👉हाइड्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s1 है अतः इसे भी s- ब्लॉक के वर्ग 1 ( क्षार धातुओं ) में रखा जाना चाहिए लेकिन यह एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके उत्कृष्ट गैस ( He ) के समान विन्यास प्राप्त करता है । इस प्रकार यह व्यवहार हैलोजेन परिवार ( वर्ग 17 ) से समानता दर्शाता है , चूँकि यह एक विशेष स्थिति है अतः हाइड्रोजन को आवर्त सारणी में सबसे ऊपर अलग से रखा जाता है । 

He का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s2 है अत : इसे s- ब्लॉक में रखा जाना चाहिए जबकि इसे वर्ग 18 में p- ब्लॉक में रखा गया है क्योंकि इसका संयोजी कोश पूर्ण भरा है जिसके कारण यह उत्कृष्ट गैसों के समान गुण दर्शाती है।

s- ब्लॉक के तत्त्व ( s – Block Elements ) 

वर्ग 1 के तत्त्वों ( क्षार धातुओं ) तथा वर्ग 2 के तत्त्वों क्षारीय मृदा धातुओं ) के बाह्यतम कोश के सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्रमशः ns1 ( n = 1 से 7 ) तथा ns2( n = 2 से 7 ) होता है । इन दोनों वर्गों के तत्त्वों को सामूहिक रूप से s- ब्लॉक के तत्त्व कहते हैं , क्योंकि इन तत्वों में अन्तिम इलेक्ट्रॉन s- कक्षक भरा जाता है।

  1. ये सभी क्रियाशील धातुएँ हैं तथा इनकी आयनन एथैल्पी के मान कम होते हैं । 
  2. ये तत्त्व आसानी इलेक्ट्रॉन त्यागकर +1 आयन ( क्षार धातु ) या +2 आयन ( क्षारीय मृदा धातु ) बनाते हैं । 
  3. वर्ग में नीचे जाने पर इन तत्त्वों के धात्विक लक्षण तथा क्रियाशीलता बढ़ती है । 
  4. अधिक क्रियाशीलता के कारण ये तत्त्व प्रकृति में शुद्ध रूप में नहीं पाए जाते हैं । 
  5. लीथियम तथा बेरीलियम को छोड़कर s- ब्लॉक के अन्य सभी तत्त्वों के यौगिक मुख्य रूप से आयनिक होते हैं 

P- ब्लॉक के तत्त्व ( P- Block Elements ) 

आवर्त सारणी के p- ब्लॉक में वर्ग 13 से 18 तक के तत्त्व होते हैं जिनमें सामान्यतः अन्तिम इलेक्ट्रॉन p- कक्षक में भरा जाता है इनका बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2, np1 से ns2 , np6 ( n = 2 से 6 ) तक होता है

  1. इनका प्रत्येक आवर्त उत्कृष्ट गैस विन्यास ( ns2 np6 ) के साथ समाप्त होता है अर्थात् उत्कृष्ट गैसों में संयोजी कोश के सभी कक्षक पूर्ण भरे होते हैं । 
  2. उत्कृष्ट गैसों की रासायनिक अभिक्रियाशीलता बहुत कम होती है क्योंकि इनमें सामान्यतः इलेक्ट्रॉन देने या ग्रहण करने की प्रवृत्ति नहीं होती । 
  3. उत्कृष्ट गैसों से पहले अधातुओं के दो महत्त्वपूर्ण वर्ग होते हैं । इनमें से 17 वें वर्ग के तत्त्व हैलोजेन तथा 16 वें वर्ग के तत्त्व ‘ चाल्कोजेन ‘ कहलाते हैं । 
  4. इन दोनों वर्गों के तत्त्वों की इलेक्ट्रॉन लब्धि एंथैल्पी उच्च ऋणात्मक होती है , अत : ये तत्त्व आसानी से क्रमशः एक तथा दो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके स्थायी उत्कृष्ट गैस विन्यास प्राप्त कर लेते हैं । 
  5. आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर तत्त्वों के अधात्विक गुणों में वृद्धि होती है तथा वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर धात्विक गुणों में वृद्धि होती है । 

d- ब्लॉक के तत्त्व ( संक्रमण तत्त्व ) [ The d – Block Elements ( Transition Elements ) ]  

आवर्त सारणी में s व p- ब्लॉक के मध्य स्थित वर्ग 3 से 12 तक के तत्त्व d- ब्लॉक के तत्त्व कहलाते हैं जिनमें अन्तिम इलेक्ट्रॉन सामान्यत : आंतरिक ( n – 1 ) d- कक्षक में भरा जाता है । 

  1. इनका सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)d1-10ns0-2 ( n = 4 से 7 ) होता है । 
  2. ये सभी तत्त्व धातुएँ हैं ।
  3. इन तत्त्वों के आयन प्राय : रंगीन होते हैं तथा परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था एवं अनुचुंबकीयता ( Para magnetism ) प्रदर्शित करते हैं ।
  4. संक्रमण तत्त्व उत्प्रेरक के रूप में भी प्रयुक्त किए जाते हैं । 
  5. Zn , Cd तथा Hg ( वर्ग 12 ) का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)d10ns2 होता है , फिर भी ये संक्रमण तत्त्वों के बहुत – से गुण नहीं दर्शाते हैं , अतः ये d- ब्लॉक के तत्व होते हुए संक्रमण तत्व नहीं हैं । 
  6. d- ब्लॉक के तत्त्व रासायनिक तौर पर क्रियाशील s- ब्लॉक के तत्त्वों तथा कम क्रियाशील 13 वें व 14 वें वर्गों के तत्त्वों के बीच एक सेतु के समान कार्य करते हैं , अत : d- ब्लॉक के तत्त्वों भी – को ‘ संक्रमण तत्त्व ‘ भी कहते हैं । 
  7. लेकिन वास्तव में संक्रमण तत्त्व वे होते हैं जिनमें परमाणु या आयनिक अवस्था में अपूर्ण उपकोश होता है अर्थात् इनके बाह्यतम दो कोश अपूर्ण होते हैं । 

d- ब्लॉक में चार श्रेणियाँ होती हैं

  1. 3d श्रेणी ( n = 4 ) 21Sc से 30Zn तक 
  2. 4d श्रेणी ( n = 5 ) 39Y से 48Cd तक 
  3. 5d श्रेणी ( n = 6 ) 57La ,72Hf से 80Hg तक 
  4. 6d श्रेणी ( n = 7 ) 89Ac ,104Unq से 112Uub तक

लेकिन वर्ग 12 के तत्त्वों ( Zn , Cd तथा Hg ) की परमाणु या आयनिक अवस्था में अपूर्ण d- उपकोश नहीं होता है इसलिए इन्हें संक्रमण तत्त्व नहीं माना जाता है । 

f- ब्लॉक के तत्त्व ( आंतरिक संक्रमण तत्त्व ) F – Block Elements ( Inner Transition Elements ) 

आवर्त सारणी के वे तत्त्व जिनमें अन्तिम इलेक्ट्रॉन f- कक्षक में भरा जाता है उन्हें f- ब्लॉक के तत्त्व कहते हैं । 

इनकी दो श्रेणियाँ होती हैं 

  1. लैन्थेनॉयड 58Ce – 72Lu
  2. ऐक्टिनॉयड 90Th – 103Lr
  1. इन्हें आवर्त सारणी के नीचे पृथक से रखा गया है । f -ब्लॉक के तत्त्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-2)f1-14d0-1ns0-2  ( n = 6 तथा 7 ) होता है । 
  2. इन्हें आन्तरिक संक्रमण तत्त्व भी कहा जाता क्योंकि इनमें बाह्यतम तीन कोश अपूर्ण होते हैं तथा ये तीसरे वर्ग से संबंधित होते हैं । 
  3. ये सभी तत्त्व धातुएँ हैं तथा प्रत्येक श्रेणी के तत्त्वों के गुण लगभग समान होते हैं । 
  4. ऐक्टिनॉयड श्रेणी के प्रारम्भिक तत्त्वों की अनेक संभावित ऑक्सीकरण अवस्थाओं के कारण इन तत्त्वों का रसायन इनके संगत लैन्थैनॉयड श्रेणी के तत्त्वों की तुलना में अधिक जटिल होता है । 
  5. ऐक्टिनॉयड श्रेणी के तत्त्व रेडियोधर्मी होते हैं , अतः इनका पूर्ण अध्ययन नहीं हो पाया है । यूरेनियम (92U ) के बाद वाले तत्त्वों को ‘ परायूरेनियम तत्त्व ‘ कहते हैं ।

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