ऐम्पियर के परिपथीय नियम ( Ampere’s Circuital Law in Hindi )
ऐम्पियर के परिपथीय नियम के अनुसार निर्वात / वायु में किसी भी बंद पथ के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र का रेखीय समाकलन (∫B.dl ) , निर्वात की चुंबकशीलता (μo )ΣI (पथ से गुजरने वाली धाराओं के बीजगणितीय योग) के बराबर होता है
OR
इस नियम के अनुसार , ” किसी बन्द पथ या परिपथ के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र के रेखीय समाकलन ( linear integral ) का मान , उस पथ से घिरे पृष्ठ से गुजरने वाली कुल धारा के मान का μoगुना होता है ।
गणितीय रूप
∫B.dl = μoΣI
इसका सरलतम रूप है ,
B l = μo Inet
μo = निर्वात की चुंबकशीलता = 4 π × 10–15 N/ A2
यहाँ ∫B.dl चुम्बकीय क्षेत्र का रेखीय समाकलन है
ΣI = पथ से गुजरने वाली धाराओं के बीजगणितीय योग
यह समीकरण निम्न शर्तों में ही प्रयोग की जाती है
( a ) बन्द पथ के प्रत्येक बिन्दु पर ,
( b ) बन्द पथ के प्रत्येक स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण समान रहता है ।
दाहिने हाथ का नियम का उपयोग करके धारा की दिशा ज्ञात करते है है तथा धारा के मान के साथ दिशा का उपयोग करते हुए पथ से गुजरने वाली धाराओं का बीजगणितीय योग ज्ञात किया जाता है।
B ( net) ज्ञात करने के लिए तार को छोटे छोटे अल्पांश में मानकर जिनकी लम्बाई dl है इन अल्पांश कारण चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्ञात किया जाता है फिर सबका योग किया जाता है।
ऐम्पियर के परिपथीय नियम के अनुप्रयोग ( Applications of Ampere’s Circuital Law )
अनन्त लम्बाई के पतले एवं सीधे धारावाही चालक तार के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र ( Magnetic Field due to a Straight and Thin Conducting Wire of Infinite Length )
यदि अनन्त लम्बाई के पतले , सीधे चालक तार में प्रवाहित धारा I हो तब चालक को केन्द्र लेकर । त्रिज्या का एक काल्पनिक वृत्त लेते हैं । XY का dl लम्बाई का अल्पांश है । B एवं d समान दिशा में है ,
बहोत अच्छा
अच्छा नोट है पर और विस्तृत होना चाहिए