अनुत्क्रमणीय उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ , रासायनिक अभिक्रिया तभी घटित होती है, जब अभिकारकों का सांद्रण समय के साथ घटता है, और उत्पादों का सांद्रण समय के साथ बढ़ता है। रासायनिक अभिक्रियाओं को निम्नलिखित दो वर्गों में बाँट सकते हैं।
अभिक्रियाएँ दो प्रकार की होती हैं- अनुक्रमणीय तथा उत्क्रमणीय।
अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ
अनुत्क्रमणीयअभिक्रियाएँ होती हैं जिनमें एक बार उत्पाद बनने के लेटर वे पुनः अभिकारकों में परिवर्तित नहीं होते हैं अर्थात् ये अभिक्रियाएँ एक दिशात्मक हैं।
अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाओं के उदाहरण
Ex.1 प्रबल अम्ल और प्रबल क्षार के बीच उदासीनीकरण
NaOH + HCl → NaCl + H2O
Ex.2 द्वि-अपघटन अभिक्रियाएँ
BaCl2+ H2SO4 (2) → BaSO4 (aq) + 2HCl(aq)
Ex.3 रेडॉक्स अभिक्रियाएँ,
SnCl2100 + 2FeCl3100) SnCl4) → SnCl4(aq) + 2FeCl2(aq)
Ex.4 NaCl(aq) + AgNO3(aq) → Na+NO–3 (aq) + AgCl (श्वेत अवक्षेप)
इन अभिक्रियाओं को एक → के निशान से जोड़ा जाता है। अनुक्रमणीय अभिक्रियाएँ तीव्र गति से होती हैं, और ये लगभग पूर्ण हो जाती हैं।
अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाओं के गुणधर्म
- ये अभिक्रियाएँ केवल एक ही दिशा में अग्रसर होती हैं
- ये अभिक्रियाएँ पूर्ण हो जाती हैं।
- एक अनुत्क्रमणीय अभिक्रिया में, △G < 0
- अभिकारक तथा उत्पाद के मध्य तीर (→) का चिन्ह रखते हैं।
उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ (प्रतिवर्ती प्रतिक्रियाएँ)
वह अभिक्रिया है जिनमें उत्पाद पुनः क्रिया करके अभिकारकों को में परिवर्तित होने लगते हैं, उन्हें उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ कहते हैं।
इस प्रकार की अभिक्रियाओं को ⇌ द्वारा दर्शाया जाता है जिसका अर्थ है कि अभिक्रिया दोनों दिशाओं (अग्र तथा पश्च) में साथ-साथ होती है।
उत्क्रमणीय अभिक्रियाओं के उदाहरण :-
Ex.1 H2(g) + I2(g) + ⇌ 2HI(g)
Ex.2 CH3COOH(l) + C2H5OH (l) ⇌ CH3COOC2H5(l) + H2O(g) (एस्टरीकरण)
Ex.3 एक अम्ल और एक क्षार, जिनमें से एक या दोनों दुर्बल हैं, के बीच उदासीनीकरण, उदाहरण :
CH3COOH + NaOH ⇌ CH3COONa + H2O
उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ सामान्यतः धीमी गति से होती हैं तथा अभिक्रिया का वेग उसकी प्रकृति तथा प्रायोगिक परिस्थितियों जैसे अभिकारकों की सान्द्रता, ताप, दाब इत्यादि पर निर्भर करता है।
उत्क्रमणीय अभिक्रियाओं के गुणधर्म
- ये अभिक्रियाएँ किसी भी दिशा से प्रारंभ हो सकती हैं।
- ये अभिक्रियाएँ कभी पूर्ण नहीं होती हैं।
- उत्क्रमणीय अभिक्रियाओं में मुक्त ऊर्जा परिवर्तन शून्य होता है,(△G = 0)
- ये अभिक्रियाएँ अभिकारकों तथा उत्पादों के मध्य दो अर्ध तीर(⇌) लगाकर निरूपित की जाती हैं।