वायुमण्डलीय प्रदूषण ( Atmospheric Pollution )

वायुमण्डल के प्राकृतिक संघटन में किसी प्रकार का परिवर्तन वायुमण्डलीय प्रदूषण कहलाता है । वायुमण्डलीय प्रदूषण में मुख्यतः क्षोभमण्डलीय तथा समतापमण्डलीय प्रदूषण का अध्ययन किया जाता है ।

वायुमण्डलीय प्रदूषण ( Atmospheric Pollution ) से संबंधित विस्तृत जानकारी दी गई है।

वायुमण्डलीय प्रदूषण
Atmospheric Pollution

वायुमण्डल , जो कि पृथ्वी को चारों तरफ से घेरे हुए है , की मोटाई हर ऊँचाई पर समान नहीं होती है । इसमें वायु की विभिन्न संकेन्द्री परतें अथवा क्षेत्र होते हैं तथा प्रत्येक परत का घनत्व भिन्न – भिन्न होता है ।

वायुमण्डल का सबसे निचला क्षेत्र , जिसमें मनुष्य तथा अन्य प्राणी रहते हैं , को ‘ क्षोभमण्डल ‘ ( Troposphere ) कहा जाता है ।

यह समुद्र तल से लगभग 10 किमी . की ऊँचाई तक होता है , इसके ऊपर ( समुद्र तल से 10 से 50 किमी . के मध्य ) समतापमण्डल ( Stratosphere ) होता है ।

क्षोभमण्डल धूल के कणों से युक्त क्षेत्र होता है , जिसमें वायु , जलवाष्प ( आधिक्य में ) तथा बादल होते हैं । इस क्षेत्र में वायु का तीव्र प्रवाह होता है तथा बादलों का निर्माण होता है , जबकि समतापमण्डल में डाइनाइट्रोजन , डाइऑक्सीजन , ओजोन तथा सूक्ष्म मात्रा में जलवाष्प उपस्थित होती है ।

समतापमण्डल में उपस्थित ओजोन सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों के 99.5 % भाग को पृथ्वी की सतह तक पहुँचने से रोकती है तथा इसके प्रभाव से मानव तथा अन्य जीवों की रक्षा करती है ।

वायु प्रदूषण के कारण

वायु प्रदूषण प्राकृतिक तथा मानवीय दोनों कारणों से होता है वायु प्रदूषण के कारण एवं प्रभाव का वर्णन

प्राकृतिक कारण

  • ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान निकलने वाली विषैली गैसें तथा धूल से वायु प्रदूषित होती है ।
  • जंगल में लगने वाली आग तथा पेड़ – पौधों की विभिन्न क्रियाओं द्वारा अमोनिया , मेथेन , नाइट्रोजन तथा कार्बन के ऑक्साइड आदि वातावरण में छोड़ी जाती हैं , जो वायु को दूषित करती हैं ।
  • विभिन्न प्रकार के जैविक तथा अजैविक पदार्थों के स्वाभाविक विघटन द्वारा भी वायु प्रदूषित होती है ।
  • मरुस्थलीय क्षेत्रों में चलने वाली आँधियाँ तथा तूफान भी वायुमण्डल को प्रदूषित करते हैं ।

मानवीय कारण

वायु प्रदूषण के मानवीय कारणों में जनसंख्या वृद्धि , वनों का विनाश , मोटर वाहनों में प्रयुक्त ईंधन , तीव्र औद्योगीकरण , कृषि क्षेत्र में कीटनाशी तथा अन्य कृषि रसायनों का बहुतायत में उपयोग , शोध कार्यों , औषध उद्योगों एवं परमाणु बिजलीघरों में रेडियो समस्थानिकों का बढ़ता उपयोग , खनन कार्य , विस्फोट तथा समय – समय पर होने वाले युद्ध आदि प्रमुख हैं ।

वायु प्रदूषण का नियंत्रण
( Control of Air Pollution )

  1. वायु प्रदूषण का सार्थक नियन्त्रण ‘ हरित क्रान्ति ‘ द्वारा सम्भव है ।
  2. औद्योगिक चिमनियों से निकलने वाली गैसों को कार्बन से मुक्त करके वायुमण्डल में छोड़ा जाना चाहिए ।
  3. सीमित क्षेत्र में ही विशेष प्रकार के प्रदूषण रहित उद्योगों को स्थापित किया जाना चाहिए ।
  4. मोटर वाहनों में सीसारहित पेट्रोल का प्रयोग किया जाना चाहिए ।
  5. वाहनों में उत्प्रेरकीय कन्वर्टर ‘ लगाकर प्रदूषण को कम करना चाहिए ।
  6. C.N.G. गैसयुक्त वाहनों को ही चलने की अनुमति प्रदान की जानी चाहिए ।
  7. ईंधन के रूप में गोबर गैस , बायो गैस इत्यादि का प्रयोग किया जाना चाहिए ।
  8. यथासंभव जीवाश्म ईंधन ( fossil fuel ) के स्थान पर सौर ऊर्जा ( Solar energy ) द्वारा चलित वाहनों का प्रयोग किया जाना चाहिए ।
  9. कूड़ा – कचरा और जैव – क्षय के पदार्थों को खुली वायु में नहीं छोड़ा जाना चाहिए ।
  10. मानवीय- जागरूकता द्वारा भी वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है । जैसे- लाल बत्ती संकेतक पर खड़े हजारों वाहन यदि इंजन को कुछ समय के लिए बन्द कर दें तो काफी मात्रा में वायु प्रदूषण कम हो सकता है ।
  11. हरे पेड़ – पौधे लगाकर भी कुछ हद तक वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है ।

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