भौतिक प्रक्रमों में साम्यावस्था ठोस-द्रव,द्रव-गैस,ठोस-गैस

भौतिक साम्य, साम्य की वह अवस्था है, जिसमें समान रासायनिक प्रजातियाँ विभिन्न अवस्थाओं (ठोस, द्रव और गैस) में उपस्थित रहती हैं।

सरल शब्दों में, जब किसी अभिक्रिया में केवल पदार्थ की भौतिक अवस्था बदलती है, तो इसे भौतिक प्रक्रम कहते हैं तथा इस प्रकार के प्रक्रम में जब साम्य स्थापित होता है तो इसे भौतिक साम्य कहा जाता है।

भौतिक प्रक्रमों के अध्ययन द्वारा साम्यावस्था में किसी निकाय के लक्षणों को अच्छी तरह समझा जा सकता है। विभिन्न साम्य जो किसी भौतिक तंत्र में उपस्थित रह सकते है निम्न हैं.

ठोस ⇌ द्रव

द्रव ⇌ वाष्प

ठोस ⇌ गैस (वाष्प)

ठोस ⇌ द्रव में ठोस का संतृप्त विलयन

गैस ⇌ द्रव में गैस का संतृप्त विलयन

ठोस-द्रव साम्यावस्था

बर्फ का जल में बदलना ठोस-द्रव साम्यावस्था का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण है।

बर्फ से जल में स्थानांतरित होने वाले अणुओं की दर = जल से बर्फ में स्थानांतरित होने वाले अणुओं की दर

बर्फ के गलने की दर = जल के जमने की दर

H2O(s)(बर्फ) ⇌ H2O(l)(जल)

जब हम थर्मस फ्लास्क (विलगित निकाय) में रखे बर्फ तथा जल का अध्ययन करते हैं तो यह पाया जाता है कि 273 K ताप तथा एक वायुमण्डलीय दाब पर बर्फ तथा जल साम्यावस्था में होते हैं।

273 K बर्फ का गलनांक तथा जल का हिमांक है। इससे स्पष्ट है कि बर्फ तथा जल एक निश्चित ताप तथा दाब पर ही साम्यावस्था में होते हैं।

साम्य पर समय के साथ-साथ बर्फ व जल के द्रव्यमान में कोई परिवर्तन नहीं होता है क्योंकि साम्य पर बर्फ से जल के बनने की दर तथा जल से बर्फ के बनने की दर समान होती है अर्थात् यह साम्यावस्था स्थैतिक (Static) नहीं है। इस समय जल के कुछ अणु बर्फ से टकराकर उसमें समा जाते हैं तथा बर्फ के कुछ अणु जल की तरफ चले जाते हैं।

द्रव-गैस साम्यावस्था

द्रव-गैस साम्य को एक बन्द पात्र में जल के वाष्पन के द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं। यदि हम कमरे के ताप (room temperature) पर जल की कुछ मात्रा एक बंद पात्र में लेते हैं, तो कुछ समय पश्चात् जल का वाष्पन होने लगता है और एक ऐसी स्थिति आती है, जब जल और वाष्प साम्यावस्था में आ जाते हैं, तब

वाष्पन (vaporization) की दर = संघनन (condensation) की दर

H2O(l) ⇌ H2O (v)

जल वाष्प साम्य के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ

  1. तंत्र (system) बंद प्रकार का होना चाहिए अर्थात् तंत्र में पदार्थ की मात्रा स्थिर रहनी चाहिए।
  2. तंत्र स्थिर ताप पर होना चाहिए।
  3. तंत्र के दृश्य गुण (visible properties) समय के साथ परिवर्तित नहीं होने चाहिए ।

(3) ठोस – वाष्प साम्य: कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो गरम किये जाने पर सीधे ही वाष्प अवस्था में आ जाते हैं। ऐसे पदार्थों के इस गुण को ऊर्ध्वपातन (sublimation) कहते हैं। जब इन पदार्थों की वाष्पों को ठण्डा करते हैं, तो ये पुनः ठोस में परिवर्तित हो जाते हैं इसे डिस्पोजीशन कहते हैं।

ठोस – गैस (वाष्प) साम्यावस्था

ठोस – वाष्प साम्य: कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो गरम किये जाने पर सीधे ही वाष्प अवस्था में आ जाते हैं। ऐसे पदार्थों के इस गुण को ऊर्ध्वपातन (sublimation) कहते हैं। जब इन पदार्थों की वाष्पों को ठण्डा करते हैं, तो ये पुनः ठोस में परिवर्तित हो जाते हैं इसे डिस्पोजीशन कहते हैं।

ठोस ⇌ वाष्प

कपूर, आयोडीन, अमोनियम क्लोराइड तथा नैपथेलीन आदि पदार्थ ऊर्ध्वपातन का गुण प्रदर्शित करते हैं। उदाहरण के लिए, जब अमोनियम क्लोराइड को गर्म करते हैं, तो यह ऊर्ध्वपातित हो जाता है।

NH4Cl(s) ⇌ NH4Cl (v)

एक ठोस और उसके विलयन के बीच साम्य

जब एक संतृप्त विलयन अपने ठोस विलेय के संपर्क में रहता है तो ठोस और विलयन प्रावस्था के बीच एक गतिक साम्य रहता है।

ठोस पदार्थ ⇌ पदार्थ का विलयन

एक गैस और इस द्रव विलयन के बीच साम्य :

गैस द्रव में विलेय हो जाती है किसी भी द्रव में गैस की विलेयता इन पर निर्भर करती है,

  1. गैस और द्रव की प्रकृति
  2. द्रव का ताप
  3. विलयन के पृष्ठ पर गैस का दाब

भौतिक प्रक्रमों में साम्यावस्था के सामान्य अभिलक्षण

किसी भौतिक प्रक्रम में साम्यावस्था के निम्न अभिलक्षण होते हैं-

  1. निश्चित ताप पर केवल बंद निकाय में ही साम्यावस्था स्थापित होती है।
  2. साम्यावस्था पर दोनों विपरीत अभिक्रियाएँ समान वेग से होती हैं। इनमें गतिक, लेकिन स्थायी अवस्था होती है
  3. साम्य पर निकाय के सभी मापने योग्य गुण-धर्म जैसे रंग,घनत्व, सान्द्रता इत्यादि स्थिर होते हैं। जब किसी भौतिक प्रक्रम में साम्यावस्था स्थापित हो जाती है तो गलनांक, वाष्प दाब इत्यादि का स्थिर होना साम्यावस्था की पहचान होती है।
  4. किसी समय पर विभिन्न राशियों का मान यह दर्शाता है कि साम्यावस्था तक पहुँचने से पहले प्रक्रम किस सीमा तक आगे बढ़ चुका है।

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