कार्बनिक यौगिकों का वर्गीकरण

कार्बनिक यौगिकों का वर्गीकरण ( Classification of Organic Compounds ) से संबंधित विस्तृत जानकारी दी गई है।

कार्बनिक यौगिकों की संख्या दस लाख से अधिक है तथा दिन – प्रतिदिन और बढ़ रही है

कार्बनिक यौगिकों का वर्गीकरण

इनके सुव्यवस्थित अध्ययन हेतु इनको संरचनाओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है ।

अचक्रीय या विवृत श्रृंखला यौगिक
( Open Chain Compounds )

विवृत श्रृंखला यौगिकों में कार्बन परमाणुओं की खुली श्रृंखला पायी जाती है । इन्हें ऐलिफेटिक यौगिक ( वसीय यौगिक ) भी कहते हैं क्योंकि वसा प्राचीनतम ज्ञात अचक्रीय यौगिक है तथा ग्रीक भाषा में एलिफर का अर्थ वसा होता है

अचक्रीय यौगिक अशाखित ( Unbranched ) तथा शाखित ( Branched ) हो सकते हैं ।
उदाहरण
( i ) हाइड्रोकार्बन – इनमें केवल कार्बन तथा हाइड्रोजन होते हैं तथा ये संतृप्त या असंतृप्त हो सकते हैं । संतृप्त यौगिकों में C – C तथा असंतृप्त यौगिकों में C = C एवं C = C उपस्थित होते हैं ।

( ii ) हाइड्रोकार्बन के व्युत्पन्न – इन यौगिकों में हाइड्रोकार्बन के एक या अधिक हाइड्रोजन परमाणु किसी क्रियात्मक समूह या प्रतिस्थापी द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं । ये भी संतृप्त तथा असंतृप्त दोनों होते हैं ।
जैसे- CH3 – OH {मेथेनॉल} , C2H5 – OH { ऐथनॉल }

संवृत श्रृंखला अथवा चक्रीय यौगिक
( Closed Chain Compounds )

इन यौगिकों में परमाणुओं की वलय होती है । इन्हें पुनः दो भागों में वर्गीकृत किया गया है-
( a ) समचक्रीय ( Homocyclic )
( b ) विषमचक्रीय ( Heterocyclic ) ।

( a ) समचक्रीय या कार्बोचक्रीय यौगिक ( Homocyclic or Carbocyclic Compounds ) – इन यौगिकों में वलय में केवल कार्बन परमाणु होते हैं अर्थात् वलय में सभी परमाणु समान होते हैं । अतः इन्हें समचक्रीय यौगिक भी कहते हैं । इन्हें पुनः दो वर्गों में बाँटा गया है

I. ऐलिसाइक्लिक ( Alicyclic ) – ये चक्रीय यौगिक हैं , लेकिन इनके गुण विवृत श्रृंखला यौगिकों के समान होते हैं । इनकी संतृप्त तथा असंतृप्त दोनों श्रेणी ज्ञात हैं

संतृप्त ऐलिसाइक्लिक यौगिक ( साइक्लो ऐल्केन ) – ये संतृप्त समचक्रीय यौगिक होते हैं । इनके उदाहरण निम्नलिखित हैं

उपर्युक्त यौगिकों को क्रमश : ट्राइमेथिलीन , टेट्रामेथिलीन , पेन्टामेथिलीन एवं हैक्सा – मेथिलीन भी कहते हैं क्योंकि इनमें क्रमशः तीन , चार , पाँच तथा छ : मेथिलीन समूह ( -CH2 ) उपस्थित हैं ।

असंतृप्त ऐलिसाइक्लिक यौगिक – इन यौगिकों की वलय में C = C या C = C पाया जाता है ।

II . समचक्रीय ऐरोमैटिक यौगिक ( Homocyclic Aromatic Compounds ) – कम से कम छ : कार्बन परमाणुओं की संवृत श्रृंखला वाले विशिष्ट गुणों युक्त यौगिकों को समचक्रीय ऐरोमैटिक यौगिक कहते हैं ।

बेन्जीन तथा इसके व्युत्पन्नों को बेन्जीनॉइड एरोमैटिक यौगिक कहते हैं ।

ट्रोपोलोन , अबेन्जीनॉइड ( नॉन बेन्जीनाइड ) एरोमैटिक यौगिक का उदाहरण है जिसमें बेन्जीन वलय नहीं है ।

( b ) विषमचक्रीय यौगिक ( Heterocyclic Compounds ) – वे चक्रीय यौगिक जिनकी वलय में कार्बन परमाणुओं के अतिरिक्त कम से कम एक विषम परमाणु , जैसे – नाइट्रोजन , सल्फर या ऑक्सीजन इत्यादि उपस्थित होते हैं उन्हें विषमचक्रीय यौगिक कहते हैं । ये भी ऐरोमैटिक तथा अनएरोमैटिक हो सकते हैं ।

सजातीय श्रेणी ( Homologous Series ) – कार्बनिक यौगिकों को क्रियात्मक समूहों के आधार पर ही सजातीय श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है ।

कार्बनिक यौगिकों की ऐसी श्रेणी जिसमें एक विशिष्ट क्रियात्मक समूह उपस्थित होता है तथा इस श्रेणी के सभी यौगिकों के रासायनिक गुण समान होते हैं एवं इनके अणुसूत्रों में एक या अधिक > CH2 का अन्तर होता है उसे सजातीय श्रेणी कहते हैं तथा इस श्रेणी के सदस्यों ( यौगिकों ) को एक – दूसरे के सजात या समजात ( Homologue ) कहते हैं ।

सजात कभी समावयवी नहीं होते तथा समावयी कभी सजात नहीं होते हैं क्योंकि सजातों के अणु सूत्र में > CH2 का अन्तर होता है जबकि समावयवियों का अणुसूत्र हमेशा समान होता है ।

सजातीय श्रेणी की विशेषताएँ

  1. सजातीय श्रेणी के दो क्रमागत सदस्यों के मध्य CH2 का अन्तर होता है । अतः उनके अणुभार में 14 का अन्तर होता है ।
  2. किसी सजातीय श्रेणी के सदस्यों को एक सामान्य सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है ।
  3. इस श्रेणी के यौगिकों के भौतिक गुणों में क्रमिक परिवर्तन होता है क्योंकि भौतिक गुण अणुभार पर निर्भर करते हैं ।
  4. सजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों के रासायनिक गुण सामान्यतः समान होते हैं क्योंकि रासायनिक गुण मुख्यतः क्रियात्मक समूह पर निर्भर करते हैं ।
  5. किसी सजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को एक सामान्य विधि द्वारा बनाया जा सकता है ।

सजातीय श्रेणियों के कुछ मुख्य वर्ग
1. ऐल्केन- सामान्य सूत्र ( CnH2n+2 )
II . ऐल्कीन – सामान्य सूत्र ( CnH2n )
III . ऐल्काइन- सामान्य सूत्र ( CnH2n-2 )
IV . ऐल्किल हैलाइड- सामान्य सूत्र ( CnH2n+1X )

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