कणिकीय प्रदूषकों का प्रभाव धूम कोहरा या स्मॉग

कणिकीय प्रदूषक – वायु में निलंबित सूक्ष्म ठोस कण या द्रवीय बूँद कणिकीय प्रदूषक हैं । ये मोटर वाहनों के उत्सर्जन , आग के धूम्र , धूलकण एवं उद्योगों की राख होते हैं । ये कणिकाएँ जीवित ( सजीव ) तथा निर्जीव दोनों प्रकार की हो सकती हैं ।

जीवाणु , कवक ( Fungi ) , फफूंद ( Moulds ) तथा शैवाल आदि जीवित कणिकाओं के उदाहरण हैं जबकि धूम , धूल , कोहरा तथा धूम्र निर्जीव कणिकाएँ हैं ।

वायु में पाए जाने वाले कुछ कवक मनुष्य में एलर्जी उत्पन्न करते हैं तथा ये पौधों में रोग भी उत्पन्न कर सकते हैं ।

कणिकाओं का वर्गीकरण

कणिकाओं के आकार तथा उनकी प्रकृति के आधार पर इन्हें चार भागों में वर्गीकृत किया जाता है

( i ) धूम ( Smoke ) – धूम कणिकाओं में ठोस तथा ठोस – द्रव कणों का मिश्रण होता है , जो कि कार्बनिक पदार्थों के दहन से उत्पन्न होते हैं , जैसे – सिगरेट का धुआँ , जीवाश्म ईंधन के दहन से प्राप्त धूम्र , गंदगी का ढेर , सूखी पत्तियाँ तथा तेल – धूम्र इत्यादि ।

( ii ) धूल ( Dust ) – धूल में बारीक ठोस कण ( व्यास 1-4um से अधिक ) होते हैं , जो ठोस पदार्थों के पीसने तथा कुचलने ( Grinding ) से बनते हैं । विस्फोट से प्राप्त बालू , लकड़ी के कार्य से प्राप्त बुरादा , कोयले का बुरादा , कारखानों से उड़ने वाली राख , सीमेन्ट तथा धुएँ के गुबार इत्यादि इस प्रकार के कणिकीय उत्सर्जन के कुछ प्रारूपिक उदाहरण हैं ।

( iii ) कोहरा ( Mist ) – फैले हुए द्रव – कणों एवं वाष्प के हवा में संघनन से कोहरा उत्पन्न होता है । जैसे – सल्फ्यूरिक अम्ल का कोहरा तथा शाकनाशी व कीटनाशी , जो अपने लक्ष्य पर न जाकर हवा से गमन करते हैं तथा कोहरा बनाते हैं ।

( iv ) धूम्र ( Fumes ) – धूम्र सामान्यतया ऊर्ध्वपातन , आसवन , क्वथन एवं अन्य रासायनिक अभिक्रियाओं के दौरान प्राप्त वाष्प के संघनन के कारण बनते हैं । प्राय : कार्बनिक विलायक , धातुएँ तथा धात्विक ऑक्साइड धूम्र कणों का निर्माण करते हैं ।

कणिकीय प्रदूषकों का प्रभाव

कणिकीय प्रदूषकों का प्रभाव मुख्यतः उनके कणों के आकार पर निर्भर करता है । हवा द्वारा उत्पन्न कण , जैसे – धूल , धूम , कोहरा आदि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं ।

5 माइक्रोन से बड़े कणिकीय प्रदूषक नासिकाद्वार में एकत्रित हो जाते हैं , जबकि 1.0 माइक्रोन के कण फेफड़ों में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं

वाहनों द्वारा उत्सर्जित लेड मुख्य वायु – प्रदूषक होता है । भारतीय शहरों में लेडयुक्त पेट्रोल वायुजनित लेड – उत्सर्जन का प्राथमिक स्रोत है । लेडविहीन ( सीसारहित ) पेट्रोल का उपयोग करके इस समस्या पर नियंत्रण किया जा सकता है ।

लेड , लाल रक्त कणिकाओं के विकास एवं उनके परिपक्व होने में बाधा उत्पन्न करता है ।

धूम कोहरा या स्मॉग ( Smog )

स्मॉग एक कोलॉइडी तंत्र है जिसका निर्माण वायुमण्डल में कोहरा ( Fog ) तथा धूम ( Smoke ) से मिलकर होता है । यह वायु प्रदूषण का एक प्रमुख उदाहरण है जो कि विश्व के अनेक शहरों में होता है ।

वर्गीकरण ( Classification )

स्मॉग को उसके बनने की प्रकृति के आधार पर दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है

( i ) अपचायक स्मॉग ( Reducing Smog ) – इसे सामान्य स्मॉग भी कहते हैं । यह शीतल तथा नम जलवायु में उत्पन्न होता है इसका कारण वायुमण्डल में उपस्थित SO2 गैस है । ईंधन तथा वाहनों में दहन से वायुमण्डल में SO2 गैस उत्सर्जित होती है जो कि धूम तथा कोहरे के साथ मिलकर इसका निर्माण करती है अतः अपचायक स्मॉग धूम , कोहरा तथा SO2 का मिश्रण है ।

अपचायक स्मॉग का निर्माण सूर्योदय से पूर्व होता है । सूर्योदय के पश्चात् कुछ समय तक इसका प्रभाव बढ़ता जाता है ; क्योंकि सूर्य के प्रकाश में SO2 , SO3 में बदल जाती है । SO3 जल से क्रिया करके ऐरोसॉल बनाती है जो कि कार्बन के धूम कणों पर संघनित होकर स्मॉग का निर्माण करती है ।

( ii ) ऑक्सीकारक स्मॉग ( Oxidizing Smog ) – इसे प्रकाश रासायनिक स्मॉग भी कहते हैं । यह गर्म , शुष्क , स्वच्छ तथा धूप युक्त जलवायु में बनता है । मोटरवाहनों तथा कारखानों से उत्सर्जित नाइट्रोजन के ऑक्साइडों तथा हाइड्रोकार्बनों पर सूर्य के प्रकाश की क्रिया से इसका निर्माण होता है । प्रकाश रासायनिक स्मॉग में ऑक्सीकारक पदार्थों की सान्द्रता उच्च होती है इसलिए इसे ऑक्सीकारक स्मॉग भी कहा जाता है ।

प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे का निर्माण
( Formation of Photochemical Smog )

जब जीवाश्म ईंधनों का दहन होता है , तब पृथ्वी के वातावरण में कई प्रदूषकों का उत्सर्जन होता है । इनमें हाइड्रोकार्बन ( अदहित ईंधन ) तथा नाइट्रिक ऑक्साइड ( NO ) मुख्य हैं । जब इन प्रदूषकों का स्तर बहुत अधिक हो जाता है , तो सूर्य के प्रकाश से इनकी क्रिया के कारण शृंखला अभिक्रिया होती है , जिससे NO नाइट्रोजन डाइऑक्साइड ( NO2 ) में परिवर्तित हो जाती है ।

2NO (g) + O2 (g) → 2NO2 (g)

यह सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा ग्रहण करके पुन : नाइट्रिक ऑक्साइड तथा मुक्त ऑक्सीजन परमाणु में विघटित हो जाती है ।

NO2 (g) → hv→ NO (g) + [ O(g) ]

ऑक्सीजन परमाणु के अत्यधिक क्रियाशील होने के कारण यह O2 के साथ संयुक्त होकर उसे ओजोन में परिवर्तित कर देता है ।

O (g) + O2 (g ) → O3 (g)

इस प्रकार प्राप्त ओजोन पूर्व में प्राप्त NO से तेजी से क्रिया करके पुन : NO2 बनाती है ।

NO2 (g) + O2 (g) → ( NO (g) + O3 (g)

यह एक भूरी गैस होती है , जिसका उच्च स्तर धुंध का कारण हो सकता है । NO2 तथा O3 दोनों ही प्रबल ऑक्सीकारक हैं अतः ये प्रदूषित वायु में उपस्थित अदहित हाइड्रोकार्बन जैसे मेथेन इत्यादि से क्रिया करके कई हानिकारक कार्बनिक यौगिकों जैसे फॉर्मेल्डिहाइड ( HCHO ) , एक्रोलीन ( CH 2 CH – CHO ) तथा परॉक्सी ऐसीटिल नाइट्रेट ( PAN ) ( CH3COOONO2 ) का निर्माण करते हैं ।

3CH4 + 2O3 → 3HCHO (फॉर्मेल्डिहाइड) + 3H2O

प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे के प्रभाव

  1. प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे के सामान्य घटक ओजोन , नाइट्रिक ऑक्साइड , एक्रोलीन , फार्मेल्डिहाइड एवं परॉक्सीऐसीटिल नाइट्रेट ( PAN ) हैं ।
  2. इसके कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न होती हैं । जैसे O3 तथा NO नाक एवं गले में जलन पैदा करते हैं ।
  3. ओजोन तथा PAN आँखों में बहुत अधिक जलन उत्पन्न करते हैं ।
  4. ओजोन तथा नाइट्रिक ऑक्साइड की उच्च सान्द्रता से सिरदर्द , छाती में दर्द , गले का शुष्क होना , खाँसी तथा श्वास लेने में तकलीफ जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं ।
  5. प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे से रबर में दरार उत्पन्न हो जाती है ।
  6. यह धातुओं , पत्थरों , भवन निर्माण सामग्री तथा पेन्ट की हुई सतहों का संक्षारण भी करता है ।

प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे का नियंत्रण
( Control of Photochemical Smog )

प्रकाश रासायनिक धूम – कोहरे को नियंत्रित करने के लिए कई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है ।

यदि प्रकाश रासायनिक धूम – कोहरे के लिए जिम्मेदार प्राथमिक पूर्वगामी , जैसे- NO2 तथा हाइड्रोकार्बन को नियंत्रित कर लिया जाए तो द्वितीयक पूर्वगामी जैसे – ओजोन , PAN तथा प्रकाश रासायनिक धूम – कोहरा स्वतः ही कम हो जाएगा ।

स्वचालित वाहनों में उत्प्रेरित परिवर्तक के प्रयोग से वायुमण्डल में नाइट्रोजन के ऑक्साइड तथा हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन कम होता है ।

पाईनस , पायरस , विटिस तथा जुनीपेरस जैसे पौधे नाइट्रोजन ऑक्साइडों का उपापचयन ( Metabolism ) करते हैं अतः इनके रोपण से भी प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे में कमी लायी जा सकती है ।

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