वैद्युत धारिता [ Electrical Capacitance in Hindi ] संधारित्र की धारिता समान्तर प्लेट संधारित्र

वैद्युत धारिता [ Electrical Capacitance in Hindi ] संधारित्र की धारिता समान्तर प्लेट संधारित्र इस पोस्ट में  संधारित्र की धारिता  से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। 

निम्न सभी टॉपिक की महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी गयी  है 

  • वैद्युत धारिता ( ( Electrical Capacitance ) 
  • संधारित्र ( Capacitors ) 
  • संधारित्र की धारिता ( Capacitance of Capacitors ) 
  • संधारित्र में संचित ऊर्जा ( Energy Stored in Capacitor ) 
  • समान्तर प्लेट संधारित्र ( Parallel Plate Capacitor ) 
  • संधारित्रों का संयोजन ( Combination of Capacitors ) 
वैद्युत धारिता [ Electrical Capacitance in Hindi ] संधारित्र की धारिता समान्तर प्लेट संधारित्र
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वैद्युत धारिता ( ( Electrical Capacitance ) 

किसी वस्तु की धारिता का तात्पर्य वस्तु द्वारा आवेश तथा ऊर्जा संचय करने की क्षमता से है । 

जब किसी वस्तु को विलगित आवेश q दिया जाता है ,तो इसके विभव में परिवर्तन हो जाता है । यह विभव परिवर्तन V । वस्तु को दिये गये आवेश के अनुक्रमानुपाती होता है

 अर्थात्

V\propto q 
V=\frac{q}{C}
C=\frac{q}{V}

👉धारिता एक अदिश राशि है । 

👉धारिता का SI मात्रक फैरड है । 

👉इसका विमीय सूत्र [ M-1L-2T4A2 ] है । 

यदि धारिता C के एक संधारित्र को आवेश q देकर विभव V तक आवेशित किया जाता है तो चालक की स्थितिज ऊर्जा के

U=\frac{1}{2}CV^2=\frac{1}{2}\frac{q^2}{C}=\frac{1}{2}qV

संधारित्र ( Capacitors ) 

संधारित्र एक ऐसी युक्ति , प्रबन्ध अथवा समायोजन है जिसके द्वारा किसी चालक के आकार में परिवर्तन किये बिना , चालक की धारिता बढ़ायी जा सकती है तथा चालक पर वैद्युत आवेश एवं ऊर्जा की अधिक मात्रायें संचित की जा सकती हैं ।

संधारित्र की धारिता ( Capacitance of Capacitors ) 

संधारित्र की धारिता का तात्पर्य , उस संधारित्र द्वारा वैद्युत ऊर्जा ( स्थितिज ऊर्जा के रूप में ) एवं संधारित्र की प्रत्येक प्लेट पर आवेश संचय करने की क्षमता से है । 

संधारित्र के किसी एक चालक पर उपस्थित आवेश  q  के परिमाण तथा इसके दोनों चालकों के बीच विभवान्तर  V  के परिमाण के अनुपात को संधारित्र की धारिता C कहते हैं । अर्थात्

C = \frac{q}{V}

संधारित्र में संचित ऊर्जा ( Energy Stored in Capacitor ) 

संधारित्र को आवेशित करने के लिये प्रतिकर्षण बलों के विरुद्ध कुछ कार्य करना पड़ता है यह कार्य संधारित्र की प्लेटो के मध्य के माध्यम में संचित हो जाता है । इसे ही संधारित्र की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा कहते हैं ।

यदि संधारित्र की धारिता C प्लेटों के बीच विभान्तर V , प्लेट पर आवेश q तथा वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता E हो तो संधारित्र में संचित ऊर्जा 

U=\frac{1}{2}CV^2=\frac{1}{2}\frac{q^2}{C}=\frac{1}{2}qV=\frac{1}{2}K\epsilon_0E^2\tau

जहाँ  τ(tau) प्लेटों के बीच भरे परवैद्युत माध्यम का आयतन है । 

समान्तर प्लेट संधारित्र ( Parallel Plate Capacitor ) 

समान्तर प्लेट संधारित्र समान आकार की एक निश्चित दूरी से पृथक दो धात्विक प्लेटों से बना होता है । इसके एक सिरे पर + q आवेश तथा दूसरी प्लेट पर -q आवेश होता है । 

समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता 

C =\frac{\epsilon_0A}{d}

जहाँ , A = प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल , d = दोनों प्लेटों के बीच की दूरी ,E0 = निर्वात की वैद्युतशीलता । 

(i) दो प्लेटों के बजाय यदि n समान प्लेटें एक-दूसरे से समान दूरी पर रखी हों तथा सभी प्लेटें क्रमागत जुड़ी हों, तब इस व्यवस्था की धारिता

C=\frac{(n-1) \varepsilon_{0} A}{d}

(ii) यदि t मोटाई एवं परावैद्युत नियतांक K की परावैद्युत पट्टिका दोनों प्लेटों के बीच रखी जाये, तो

C=\frac{\varepsilon_{0} A}{d-t+\frac{t}{K}}=\frac{\varepsilon_{0} A}{d-t\left(1-\frac{1}{K}\right)}

(a) यदि $t=d$, अर्थात् प्लेटों के बीच सम्पूर्ण स्थान में परावैद्युत भरा हो, तो

C=\frac{\varepsilon_{0} A}{d-t\left(1-\frac{1}{K}\right)}=\frac{K \varepsilon_{0} A}{d}

(b) यदि K=∞, तब

C=\frac{\varepsilon_{0} A}{d-t}

(iii) समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य लगने वाले बल का परिमाण 

F=\frac{\sigma^{2} A}{2 \varepsilon_{0}}=\frac{Q^{2}}{2 A \varepsilon_{0}}=\frac{C V^{2}}{2 d}

( iv ) संधारित्र की प्लेटों के मध्य ऊर्जा घनत्व 

u=\frac{U}{volume}=\frac{1}{2}\epsilon_0E^2

संधारित्रों का संयोजन ( Combination of Capacitors ) 

संधारित्रों को प्रमुखत : दो प्रकार से जोड़ा जाता है 

(1) श्रेणी संयोजन ( Series Combination ) 

श्रेणी संयोजन में सभी प्लेटों पर आवेश समान होता है तथा यह सेल से प्रवाहित आवेश के समान होता है । यदि n संधारित्र श्रेणी क्रम में जुड़े हों , तब तुल्य धारिता 

\frac{1}{C_{net}}=\frac{1}{C_1}+\frac{1}{C_2}+\frac{1}{C_3}+\frac{1}{C_4}.....

(2) समान्तर संयोजन ( Parallel Combination ) 

समान्तर संयोजन में प्रत्येक संधारित्र के सिरों पर विभवान्तर समान होता है तथा कुल आवेश उनकी धारिताओं के अनुपात में वर्गीकृत होता है ।

यदि n संधारित्र समान्तर क्रम में जुड़े हों तब 

C = C_1 + C_2 + C_3 +....

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