गैसीय वायु प्रदूषक ( Gaseous Air Pollutants )

क्षोभमण्डलीय प्रदूषण ( Tropospheric Pollution ) – वायु में उपस्थित अवांछनीय ठोस अथवा गैस कणों के कारण क्षोभमण्डलीय प्रदूषण होता है । क्षोभमण्डल में मुख्यतः निम्नलिखित गैसीय तथा कणिकीय प्रदूषक पाए जाते हैं

( a ) गैसीय वायु प्रदूषक – सल्फर , नाइट्रोजन तथा कार्बन के -ऑक्साइड , हाइड्रोजन सल्फाइड , हाइड्रोकार्बन , ओजोन तथा अन्य हैं । ऑक्सीकारक गैसीय वायु प्रदूषक

( b ) कणिकीय प्रदूषक – धूल , धूम्र , कोहरा , फुहारा ( स्प्रे ) , धुआँ इत्यादि कणिकीय वायु प्रदूषक हैं ।

गैसीय वायु प्रदूषक ( Gaseous Air Pollutants ) इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई है।

सल्फर के ऑक्साइड वायु प्रदूषक

जीवाश्म ईंधन के दहन से सल्फर के ऑक्साइड ( SO2 तथा SO3 ) उत्पन्न होते हैं , इनमें सल्फर डाइऑक्साइड प्रमुख है जो कि मनुष्यों एवं जन्तुओं के लिए विषैली होती है ।

सल्फर डाइऑक्साइड की सूक्ष्म मात्रा भी मनुष्य में विभिन्न श्वसन रोग , जैसे – अस्थमा , श्वसनी शोध , ऐम्फाइसीमा आदि उत्पन्न करती हैं ।

सल्फर डाइऑक्साइड के कारण आँखों में जलन भी होती है , जिससे आँखें लाल हो जाती हैं तथा आँसू आने लगते हैं । SO2 की उच्च सान्द्रता फूलों की कलियों में कड़ापन उत्पन्न करती है , जिससे ये शीघ्र गिर जाती हैं ।

SO2 का ऑक्सीकरण धीमा होता है लेकिन प्रदूषित वायु जिसमें कणिकीय पदार्थ होते हैं , के कारण इसका ऑक्सीकरण तेजी से होता है अर्थात् ये इस अभिक्रिया को उत्प्रेरित करते हैं ।

2SO2 (g) + O2 (g) → 2SO3 (g)

इस अभिक्रिया की गति वायुमण्डल में उपस्थित ओजोन तथा हाइड्रोजन परॉक्साइड द्वारा और बढ़ जाती है ।

SO2 (g) + O3 (g) → SO3 (g) + O2 (g)

SO2 (g) + H2O2 (l) → H2SO4 (aq)

इस प्रकार बनी SO3 तथा H2SO4 ही अम्ल वर्षा के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी है ।

नाइट्रोजन के ऑक्साइड वायु प्रदूषक

वायु के प्रमुख अवयव नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन हैं । सामान्य ताप पर ये गैसें आपस में अभिक्रिया नहीं करती हैं , परन्तु उच्च उन्नतांश ( altitude ) पर जब बिजली चमकती है , तब ये आपस में क्रिया करके नाइट्रोजन के ऑक्साइड ( NO तथा NO2)बनाती हैं ।

NO2 के ऑक्सीकरण से NO3आयन बनता है , जो मृदा में जाकर उर्वरक का कार्य करता है ।

किसी स्वचालित इंजन में भी उच्च ताप पर जब जीवाश्म ईंधन का दहन होता है , नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन मिलकर पर्याप्त मात्रा में नाइट्रिक ऑक्साइड ( NO ) तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड ( NO2 ) बनाती हैं ।
N2 (g) + O2 (g) → 2NO (g)

NO,ऑक्सीजन से तेजी से क्रिया करके NO2 देती है ।

2NO (g) + O2 (g) → 2NO2 (g)

जब समतापमण्डल में नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) ओजोन से क्रिया करती है , तो नाइट्रोजन डाइऑक्साइड ( NO2) के बनने की दर बढ़ जाती है ।

NO(g) + O3 (g) → NO2 (g) + O2 (g)

यातायात तथा सघन स्थानों पर स्थित तीक्ष्ण लाल धूम्र नाइट्रोजन ऑक्साइड के कारण ही होता है । NO2 की सान्द्रता अधिक होने पर पौधों की पत्तियाँ गिर जाती हैं तथा प्रकाश – संश्लेषण की दर कम हो जाती है ।

नाइट्रोजन डाइऑक्साइड फेफड़ों में उत्तेजना उत्पन्न करती है , जिससे बच्चों में श्वसन – रोग हो जाते हैं । यह जीव ऊतकों के लिए विषैली होती है ।

नाइट्रोजन डाइऑक्साइड विभिन्न प्रकार के रेशों तथा धातुओं के लिए भी हानिकारक होती है ।

हाइड्रोकार्बन – वायु प्रदूषक

हाइड्रोकार्बन केवल कार्बन तथा हाइड्रोजन से बने यौगिक हैं जो कि स्वचालित वाहनों में ईंधन के अपूर्ण दहन से उत्पन्न होते हैं । अधिकांश हाइड्रोकार्बनों के कारण कैंसर रोग उत्पन्न होता है ।

ये पौधों में काल प्रभावण ( ageing ) , ऊतकों के निम्नीकरण तथा पत्तियों , फूलों एवं टहनियों में छाया ( Shedding ) द्वारा इन्हें हानि पहुँचाते हैं ।

कार्बन के ऑक्साइड वायु प्रदूषक

कार्बन मोनोऑक्साइड – कार्बन मोनोऑक्साइड गम्भीर वायु प्रदूषक है जो कि रंगहीन तथा गंधहीन गैस होती है । यह श्वसनीय प्राणियों के लिए हानिकारक है । यह कार्बन के अपूर्ण दहन के कारण उत्पन्न होती है । इसकी सर्वाधिक मात्रा मोटरवाहनों से निकलने वाले धुएँ में होती है ।

कोयला ईंधन लकड़ी तथा पेट्रोल का अपूर्ण दहन इत्यादि इसके अन्य स्रोत हैं ।

अधिकतर वाहनों का उचित रखरखाव नहीं होता है तथा इनमें प्रदूषण नियंत्रक उपकरण नहीं होते हैं जिसके कारण अत्यधिक मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड तथा अन्य प्रदूषक गैसें उत्सर्जित होती हैं ।

कार्बन मोनोऑक्साइड अंगों तथा ऊतकों में जाने वाली ऑक्सीजन के प्रवाह को रोकती है ।

यह हीमोग्लोबिन के साथ ऑक्सीजन की अपेक्षा अधिक प्रबलता से संयुक्त होकर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनाती है , जो कि ऑक्सीजन हीमोग्लोबिन संकुल से 300 गुना अधिक स्थायी होता है ।

जब रक्त में कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन की मात्रा 3-4 प्रतिशत तक हो जाती है , तो रक्त में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती है ।

ऑक्सीजन की इस कमी से सिरदर्द , नेत्रदृष्टि में कमी , तंत्रिकीय आवेग में न्यूनता ( Ner vousness ) , हृदयवाहिका में अव्यवस्था ( Cardiovascular disor der ) आदि समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं । इसी कारण धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।

गर्भवती महिलाओं के रक्त में CO की मात्रा बढ़ने से समय पूर्व बच्चे का जन्म , गर्भपात तथा बच्चों में विकृति उत्पन्न हो जाती है । CO की 1300 ppm सान्द्रता आधे घण्टे में प्राणघातक हो सकती है ।

कार्बन डाइऑक्साइड – श्वसन , जीवाश्म ईंधन का दहन , सीमेन्ट निर्माण में काम आने वाले चूना – पत्थर (CaCO3) आदि से कार्बन डाइऑक्साइड ( CO2 ) उत्सर्जित होती है ।

कार्बन डाइऑक्साइड गैस केवल क्षोभमण्डल में होती है । सामान्यतः वायुमण्डल में इसकी मात्रा आयतन के अनुसार 0.03 % होती है ।

जीवाश्म ईंधनों के अधिक प्रयोग से वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है कार्बन डाइऑक्साइड के आधिक्य को हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा कम कर देते हैं , जिससे वायुमण्डल में CO2 की निश्चित मात्रा बनी रहती है ।

हरे पौधे प्रकाश – संश्लेषण के लिए CO2 काम में लेते हैं तथा ऑक्सीजन मुक्त करते हैं इसलिए संतुलित चक्र बना रहता है ।

वनों के कटने तथा जीवाश्म ईंधन के अधिक दहन के कारण वायुमण्डल में CO2 की मात्रा बढ़ गई है अतः पर्यावरण – संतुलन बिगड़ गया है ।

कार्बन डाइऑक्साइड की यही बढ़ी हुई मात्रा भूमण्डलीय तापवृद्धि के लिए उत्तरदायी है ।

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