ग्राहम का विसरण नियम सन् 1829 में विसरण के लिए ग्राहम ने एक नियम दिया जिसे उनके नाम के आधार पर ग्राहम का विसरण नियम कहते हैं । इसके अनुसार निश्चित ताप व दाब पर विभिन्न गैसों के विसरण की दर , उनके घनत्व के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होती है । ग्राहम का विसरण नियम से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
- विसरण और निःसरण
- ग्राह्य का विसरण और निःसरण नियम
- निःसरण विसरण की दर
- ग्राम के नियम का उपयोग
जैसे महत्वपूर्ण टॉपिक से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी है।
विसरण और निःसरण
प्रत्येक गैस द्वारा स्वतः फैलकर , उपलब्ध आयतन में समान रूप से वितरित होने की प्रवृत्ति को विसरण कहते हैं । विसरण पर गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं होता है । अतः वितरण वह प्रक्रिया है जिसमें गैसें बिना किसी बाह्य कार्य के परस्पर मिश्रित होती हैं ।
किसी पात्र में उपस्थित गैस की एक बारीक छिद्र में से उच्च दाब के साथ निकलने की प्रक्रिया को निःसरण (Effusion) कहते हैं । निःसरण पर भी विसरण का नियम ही लागू होता है ।
ग्राहम का विसरण और निःसरण नियम
( Graham’s law of diffusion and Effusion )
विसरण गैसों के स्वतः फैलने और आपस में मिलने की एक प्रक्रिया है , जिसके फलस्वरूप गैसों का समांगी मिश्रण प्राप्त होता है । जबकि निःसरण गैस के अणुओं की महीन छिद्र के द्वारा विसरण की प्रक्रिया है ।
सभी गैसें स्वतः एक दूसरे के साथ विसरित होने का गुण रखती हैं , जबकि उन्हें एक दूसरे के सम्पर्क में लाया जाये ।
निर्वात् में विसरण अन्य किसी स्थान की तुलना में अधिक तेजी से होता है ।
गैस के विसरण और निःसरण दोनों की दर गैस की आण्विक मात्रा पर निर्भर करती है । हल्की गैसें भारी गैसों की अपेक्षा अधिक तेजी से विसरित होती हैं । हाइड्रोजन गैस के विसरण की दर अधिकतम है ।
इस नियम के अनुसार , “ स्थिर ताप और दाब पर विसरण या निःसरण की दर वाष्प घनत्व के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होती है ”
अतः यदि किसी गैस के विसरण की दर r हो तथा घनत्व d है
r\propto\frac{1}{\sqrt{d}}
यदि r1 तथा r2 दो गैसों के विसरण की दर है तथा d1 व d2 उनके घनत्व हैं तो
r_1\propto\frac{1}{\sqrt{d_1}}
r_2\propto\frac{1}{\sqrt{d_2}}
\frac{r_1}{r_2}=\sqrt{\frac{d_2}{d_1}}
चूँकि किसी गैस का घनत्व उसके मोलर द्रव्यमान ( अणुभार ) के तो समानुपाती होता है , अतः
\frac{r_1}{r_2}=\sqrt{\frac{M_2}{M_1}}
यहाँ M1 , तथा M2 गैसों के अणुभार हैं ।
जब समान आयतन की दो गैसें विसरित होती हैं अर्थात्
V1 = V2 तब
\frac{r_1}{r_2}=\frac{t_2}{t_1}=\sqrt{\frac{d_2}{d_1}}
जब समान समय में दो गैसों के आयतन विसरित होते हैं तब , t1 = t2
\frac{r_1}{r_2}=\frac{V_1}{V_2}=\sqrt{\frac{d_2}{d_1}}
चूँकि , r\propto p ( जब p स्थिर नहीं है ) तब ,
\frac{r_1}{r_2}=\frac{P_1}{P_2}=\sqrt{\frac{M_2}{M_1}}
विसरण की दर और निःसरण की दर निम्न प्रकार से निर्धारित की जा सकती है
- प्रति इकाई समय में गैस द्वारा तय की गयी दूरी विसरण की दर के बराबर होती है , जबकि गैस समान अनुप्रस्थ क्षेत्रफल वाली ट्यूब से गुजारी जाती है ।
- प्रति इकाई समय में निःसरित होने वाले अणुओं की संख्या विसरण की दर होती है ।
- प्रति इकाई समय में सिलिण्डर ( cylinder ) के दाब में कमी गैस की निःसरण की दर कहलाती है ।
- प्रति इकाई समय में दी हुई सतह द्वारा निःसरित गैस का आयतन भी निःसरण की दर कहलाता है ।
अनुप्रयोग : ग्राम के नियम का उपयोग निम्नलिखित रूप से करते हैं :
- गैसों के वाष्प घनत्व और आण्विक भार निर्धारित करने में ।
- ऑसेल्स ( Ausell’s ) मार्श गैस सूचक बनाने में जो कि खदानों में प्रयुक्त होता है ।
- एटमोलाइसिस : दो गैसों की अलग अलग विसरण की दर के आधार पर उनका पृथक्करण क्योंकि उनके घनत्व में अन्तर होता है , एटमोलाइसिस कहलाता है । इसका उपयोग समस्थानिकों के पृथक्करण और गैसीय मिश्रण से गैसों को पृथक करने हेतु उपयोग में आता है ।