मनुष्य की आँख ( human eye in Hindi )
इस पोस्ट में, हमने मनुष्य की आँख ( human eye in Hindi ) से संबंधित सभी महत्वपूर्ण बातों को शामिल किया है।जैसे मनुष्य की आँख ( human eye in Hindi ),मानव नेत्र के कितने भाग होते हैं? इन टॉपिक की सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी है।
मानव नेत्र किसे कहते हैं ?
मनुष्य की आँख भी कैमरे की भांति एक प्रकाशिक यन्त्र है ।
दृढ़पटल ( Sclera )
यह पतों से बना सफेद अपारदर्शक भाग आँख की रक्षा हेतु आँख के गोले को ढके रहता है ।
कोर्निया ( Cornea )
दृढ़पटल के सामने का भाग कुछ उभरा हुआ तथा पारदर्शक होता है । इस भाग को कोर्निया कहते हैं ।
आइरिस ( Iris )
कोर्निया के पीछे एक अपारदर्शक रंगीन पर्दा होता है जिसे आइरिस कहते हैं । आइरिस के बीच में एक छिद्र होता है । यह कैमरे के डायाफ्राम की भाँति कार्य करता है । यह किसी आँख के रंग को निर्धारित करता है ।
पुतली या परितारिका ( Pupil )
आइरिस के बीच वाले छोटे छिद्र को आँख की पुतली कहते हैं । पुतली आइरिस की सहायता से तेज प्रकाश में छोटा आकार तथा अँधेरे में बड़ा आकार ग्रहण कर लेती है । जिससे आँख के अन्दर जाने वाली प्रकाश की मात्रा का स्वतः ही नियन्त्रण होता रहता है ।
कोरोइड ( Choroid )
श्वेत पर्त के निचले भाग से सम्बन्धित अन्दर की ओर एक काले रंग की झिल्ली होती है जिसे कोरोइड कहते हैं । यह आँख के अन्दर के प्रकाश का शोषण करके प्रकाश का भीतरी सतहों से परावर्तन रोक देती है ।
नेत्र लेन्स ( Eye Lens )
आइरिस के पीछे जिलेटिन के समान प्रोटीन का बना पारदर्शक तथा मुलायम पदार्थ का एक उत्तल लेन्स होता है जिसे नेत्र लेन्स कहते हैं ।
इस लेन्स के दोनों पृष्ठों की वक्रता त्रिज्याएँ भिन्न – भिन्न होती हैं । नेत्र लेन्स माँसपेशियों की सहायता से अपनी स्थिति में रखा रहता है जिन्हें पक्ष्माभी माँसपेशियाँ ( ciliary muscles ) कहते हैं ।
इन माँसपेशियों में कम अथवा अधिक दाब लगाकर लेन्स की वक्रता त्रिज्याओं को बदला जा सकता है । वक्रता त्रिज्याओं में परिवर्तन होने से लेन्स की फोकस दूरी बदल जाती है जिससे आँख से विभिन्न दूरियों पर स्थित वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनाया जा सकता है ।
रेटिना ( Retina )
कोरोइड से सम्बन्धित आँख के सबसे आन्तरिक भाग में दृष्टि नाड़ियों से बना एक पर्दा होता है जिसे रेटिना कहते हैं । इस पर्दे पर शंकु एवं श्लाका ( rod ) आकार की प्रकाश संवेदी लाखों कोशिकाएँ होती हैं जो क्रमश : प्रकाश के रंग एवं तीव्रता के लिए सुग्राही होती हैं ।
इस पर प्रकाश पड़ने से दृष्टि – नाड़ियाँ प्रभावित हो जाती हैं । इन नाड़ियों का सम्बन्ध मस्तिष्क ( Brain ) से होता है । मस्तिष्क वस्तु के बारे में पूर्ण ज्ञान करा देता है ।
रेटिना के केन्द्र के पास एक गोल पीला बिन्दु होता है जिसे पीत बिन्दु ( yellow spot ) कहते हैं ।
वस्तु का प्रतिबिम्ब जब पीत बिन्दु पर बनता है तो सबसे अधिक स्पष्ट दिखाई देता है । इसके अतिरिक्त जिस बिन्दु से दृष्टि – नाड़ियाँ मस्तिष्क को जाती हैं उस बिन्दु को अन्ध्र बिन्दु ( blind spot ) कहते हैं ।
इस बिन्दु पर प्रकाश का कोई प्रभाव नहीं होता है , अतः वस्तु का प्रतिबिम्ब इस बिन्दु पर बनने से वस्तु दिखाई नहीं देगी ।
जलीय एवं काँच द्रव ( Aqueous and Vitreous Homour )
कोर्निया और नेत्र लेन्स के मध्य एक पारदर्शक द्रव भरा रहता है । इस द्रव को जलीय द्रव कहते हैं । इसी प्रकार नेत्र लेन्स और रेटिना के बीच में भी एक पादर्शक द्रव भरा रहता है । जिसे काँच द्रव कहते हैं ।