गैसों का अणुगति सिद्धान्त [Kinetic theory of gases]

गैसों का अणुगति सिद्धान्त– वह सिद्धान्त जो गैसों के व्यवहार का स्पष्टीकरण देता है गैसों का अणुगति सिद्धान्त से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।

  • गैसों का अणुगति सिद्धान्त
  • गैसों के अणुगति सिद्धांत के अभिगृहीत
  • अणु गति समीकरण ( Kinetic gas equation )
  • गतिज ऊर्जा एवं अणुक गति

kinetic theory of gases in Hindi जैसे महत्वपूर्ण टॉपिक से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी है।

गैसों का अणुगति सिद्धान्त

इस सिद्धान्त को बरनौली , जूल , क्लॉसियस , मैक्सवेल और बोल्ट्जमैन आदि वैज्ञानिकों ने दिया और बताया कि सभी गैसें गतिशील अणुओं या सूक्ष्मदर्शी प्रतिरूप की बनी होती हैं , चूँकि गैसों के अणुओं को देखा नहीं जा सकता है । अतः गैसों के इस प्रतिरूप को सूक्ष्मदर्शी प्रतिरूप कहा जाता हैं ।

जैसे गैस नियम यह बताते हैं कि दाब बढ़ाने पर गैस का संपीडन होता है लेकिन गैस के संपीडन के समय उसके आण्विक स्तर पर क्या होता है , इन सब प्रश्नों के उत्तर देने के लिए एक सिद्धान्त दिया गया जो कि हमारे प्रायोगिक अवलोकनों को समझने के लिए एक मॉडल का कार्य करता है

अतः वह सिद्धान्त जो गैसों के व्यवहार का स्पष्टीकरण देता है , ‘ गैसों का अणुगति सिद्धान्त ‘ कहलाता है । इस सिद्धान्त को सन् 1738 में बर्नूली ने प्रस्तावित किया था , उसके पश्चात् मैक्सवेल तथा वोल्ट्जमान आदि वैज्ञानिकों ने इसे विकसित किया था । गैसों के अणुगति सिद्धान्त पर आधारित गणनाएँ तथा अनुमान प्रायोगिक प्रेक्षणों के अनुरूप होते हैं जो कि इस सिद्धान्त की पुष्टि करते हैं ।

गैसों के अणुगति सिद्धांत के अभिगृहीत

  • प्रत्येक गैस सूक्ष्म कणों से मिलकर बनी होती है जिन्हें अणु कहा जाता है । यह अणु सभी सम्भव दिशाओं में अति उच्च वेग से घूमते रहते हैं ।
  • स्वतन्त्र अणु का आयतन गैस के कुल आयतन की तुलना में नगण्य होता है ।
  • गैस के अणु पूर्णतः प्रत्यास्थ होते हैं अतः इनके संघट्ट के दौरान इनकी गतिज ऊर्जा का ह्यास नहीं होता है ।
  • गैस के अणुओं की गति पर गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है ।
  • गैस के अणुओं में स्थितिज ऊर्जा नहीं होती है इसलिये गैस के अणुओं के मध्य आकर्षण या प्रतिकर्षण बल नगण्य होता है ।
  • गैस का दाब , पात्र की दीवार पर गैस के अणुओं के सतत् टकराने के कारण उत्पन्न होता है ।
  • स्थिर ताप पर सभी गैसों की औसत गतिज ऊर्जा समान होती है ।
  • गैस के अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा परम तापक्रम के समानुपाती होती है ।

अणु गति समीकरण ( Kinetic gas equation )

गैसों के अणुगति सिद्धान्त की अभिधारणाओं के आधार पर गैसों के अणु गति समीकरण को व्युत्पत्ति (Derive) किया जा सकता है। यह अणु गति समीकरण निम्न प्रकार होता है-

\mathrm{PV}=\frac{1}{3} \mathrm{mnu}^{2}


यहाँ P = गैस का दाब,
V= गैस का आयतन
m= गैस के एक अगु का द्रव्यमान
n= गैस के अपुओं की संख्या
u= गैस के अणुओं का वर्गमाध्य मूल वेग

अणु गति समीकरण के अन्य रूप निम्नलिखित हैं-

\mathrm{PV}=\frac{1}{3} n \mathrm{mu}^{2}
\mathrm{PV}=\frac{1}{3} \mathrm{Mu}^{2}

(M =nm= गैस के अणुओं का कुल भार)

\mathrm{PV}=\frac{1}{3}\left(\frac{\mathrm{M}}{\mathrm{V}}\right) \mathrm{u}^{2}
\mathrm{P}=\frac{1}{3} d u^{2} 

d = M/V { गैस का घनत्व }

गैस की गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy of Gas) K.E.

\mathrm{PV}=\frac{1}{3} m m u^{2} \\
\quad \\
\mathrm{PV}=\frac{2}{3} \times \frac{1}{2} m u u^{2}
\mathrm{KE}=\frac{1}{2} \mathrm{mnu}^{2}
K.E. =\frac{3}{2} \mathrm{PV}
\mathrm{PV}=\mathrm{RT}
\mathrm{K} . \mathrm{E}=\frac{3}{2} \mathrm{RT}

गैस के n अपुओं की गतिज ऊर्णा \mathrm{KE}= \frac{3}{2} n \mathrm{RT} अर्थात

K \mathrm{E} \propto \mathrm{T}

अतः किसी आदर्श गैस के एक मोल की गतिज ऊर्जा उसके परमताप के समानुपाती होती है अर्थात् यह गैस की प्रकृति पर निर्भर नहीं करती ।

गैस के एक अणु की औसत गतिज ऊर्जा =

\mathrm{K} . \mathrm{E}=\frac{3}{2} \frac{RT}{N_A}=\frac{3}{2}KT

NA = आवोगाद्रो संख्या तथा k = वोल्ट्रजमान स्थिरांक

गतिज ऊर्जा एवं अणुक गति

गैसों के अणु निरन्तर गति करते रहते हैं । गति करते समय ये आपस में तथा पात्र की दीवारों के साथ टकराते रहते हैं । इसके कारण अणुओं की गति और ऊर्जा परिवर्तित होती रहती है । इसलिए किसी भी क्षण सभी अणुओं की गति और ऊर्जा एक समान नहीं होती ।

अतः हम अणुओं की औसत गति ज्ञात करते हैं । यदि गैस में n अणु हों , जिनकी गतियाँ | u1 ,u2 ,u3 ,u4 ,….un , हों तो अणुओं की औसत गति uav की गणना निम्न सूत्र ज्ञात करते हैं –

औसत गति ( ū ) या औसत वेग ( uav ) = u1+ u2 + u3 + ….+ un

= \sqrt{\frac{8RT}{\pi M}}=1.6\sqrt{\frac{RT}{M}}

अतः समस्त अणुओं के वेगों के योग में अणुओं की संख्या का भाग देने पर प्राप्त वेग को औसत वेग कहते हैं ।

वह वेग जो अधिकांश अणुओं द्वारा दर्शाया जाता है उसे प्रायिकता वेग कहते हैं ।

प्रायिकता वेग =

=\sqrt{\frac{2RT}{M}} = 1.4\sqrt{\frac{RT}{M}}

वेगों के वर्ग का औसत , गैस के अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा का माप होता है । यदि हम वेगों के वर्ग के औसत मान का वर्गमूल लें तो हमें वेग का जो मान प्राप्त होता है वह प्रायिकता वेग तथा औसत से भिन्न होता है । इसे वर्ग माध्य मूल वेग ( Root mean square speed ) कहते हैं तथा इसे निम्नलिखित सूत्र द्वारा दिया जाता है

u_{rms}=\sqrt{\overline{u}}= 1.7\sqrt{\frac{RT}{M}}

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