अनुक्रम तथा श्रेणी [ sequence and series in Hindi ] समान्तर श्रेणी,गुणोत्तर श्रेणी
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अनुक्रम और श्रेणी में अंतर क्या है ?
समान्तर श्रेणी किसे कहा जाता है? परिभाषा । समान्तर श्रेणी का व्यापक पद ,समांतर माध्य (Arithmetic mean), पदों का योगफल,समांतर श्रेणी के गुणधर्म (Properties of A.P.)
गुणोत्तर श्रेणी किसे कहा जाता है? परिभाषा । गुणोत्तर श्रेणी का व्यापक पद ,गुणोत्तर श्रेणी के पदों का योगफल,गुणोत्तर श्रेणी के गुणधर्म
यह अध्याय को आसान नहीं है, इसलिए इसे ध्यान से पढ़ें। हर परिभाषा को ध्यान से समझे। एक एक शब्द का अर्थ समझने का प्रयास करे। यदि कोई शब्द, परिभाषा समझ में नहीं आ रहा हो,तो कमेंट करके पूछ ले।
अनुक्रम और श्रेणी में अंतर क्या है ?
अनुक्रम –
अगर हम संख्याओं को किसी एक क्रम में जमा दे तो। तो उस क्रम को उनक संख्याओं का अनुक्रम कहते है।
Ex. 2, 4, 6, 8,10, … एक अनुक्रम है।
यह दो प्रकार का होता है –
- सीमित
- असीमित
- जिस क्रम में पदों की संख्या निश्चित हो उसे सीमित अनुक्रम कहते है।
- जिस क्रम में पदों की संख्या अनंत हो उसे असीमित अनुक्रम कहते है।
श्रेणी –
यदि हम अनुक्रम को जोड़ (योग) के पदों में लिख दे। तो वो अनुक्रम एक श्रेणी कहलाता है।
Ex. 2+4+6+8+10, … एक श्रेणी है।
यह भी दो प्रकार होती है
सीमित
असीमित
समान्तर श्रेणी किसे कहा जाता है? परिभाषा ।
संख्याओं का एक अनुक्रम An समान्तर श्रेणी कहलाता है, जब अन्तर An – An-1 एक अचर राशि हो, \forall n \in NA_{n}-A_{n-1} , समान्तर श्रेणी का सार्वान्तर कहलाता है, जिसे सामान्यत: d से व्यक्त करते हैं।
यदि किसी ‘a’ प्रथम पद तथा ‘d’ सार्वान्तर हो, तो समान्तर श्रेणी-
a+(a+d)+(a+2d)+..+\{a+(n-1)d\}
किसी समान्तर श्रेणी का व्यापक पद (General term of an A.P.)
(1) माना किसी समान्तर श्रेणी का प्रथम पद ‘ a’ व सार्वान्तर d है ह. तो इसका n वाँ पद a+(n-1) d होगा अर्थात्
A_{n}=a+(n-1) d
(2) श्रेणी का, अन्त से p वाँ पद : माना n पदों वाली समान्तर श्रेणी
का प्रथम पद ‘ a ‘ व सार्वान्तर ‘ d ‘ हो, तो श्रेणी का अन्त से p वोँ पद,
प्रारम्भ से (n-p+1) वाँ पद होगा अर्थात,
अन्त से p वॉ पद
=A_{(n-p+1)}=a+(n-p) d
किसी समान्तर श्रेणी के $n$ पदों का योगफल (Sum of $n$ terms of an A.P.)
a+(a+d)+(a+2d)+..+\{a+(n-1)d\}
के n पदों का योगफल
S_{n}=\frac{n}{2}[2 a+(n-1) d]
और
S_{n}=\frac{n}{2}(a+l)
जहाँ l= अतिमपद =a+(n-1)d
किसी समान्तर श्रेणी का समांतर माध्य (Arithmetic mean)
यदि a, A, b किसी समान्तर श्रेणी में हों, तो A को a व b का समान्तर माध्य कहते हैं।
यदि a, A_{1}, A_{2}, A_{3} \ldots \ldots, A_{n}, b समान्तर श्रेणी में हों, तो a और b के बीच n समान्तर माध्य A1, A2, A3, …, An होंगे
(i) 👉a व b के बीच एक समान्तर माध्य :
यदि a और b दो वास्तविक संख्याएं है, तो a और b के बीच समान्तर माध्य =\frac{a+b}{2}
(ii) 👉a व b के बीच n समान्तर माध्य –
यदि A1, A2, A3, …, An
a एवं b के बीच n समान्तर माध्य हैं, तो
A_{1}=a+d=a+\frac{b-a}{n+1}
A_{2}=a+2 d=a+2 \frac{b-a}{n+1}
A_{3}=a+3 d=a+3 \frac{b-a}{n+1}, \ldots \ldots
A_{n}=a+n d=a+n \frac{b-a}{n+1}
समांतर श्रेणी के गुणधर्म (Properties of A.P.)
👉यदि a1, a2, a3 ….. समान्तर श्रेणी में हैं, जिसका सार्वान्तर d है तो एक अशून्य संख्या k∈R के लिए,
(i) a1± k, a2 ± k, a3 ± k ….. भी समान्तर श्रेणी में होंगे, जिसका सार्वान्तर dहोगा।
(ii) ka1,ka2,ka3…. भी समान्तर श्रेणी में होंगे, जिसका सार्वान्तर =kd होगा।
(iii) \frac{a_{1}}{k}, \frac{a_{2}}{k}, \frac{a_{3}}{k}… भी समान्तर श्रेणी में होंगे, जिसका सार्वान्तर =dk होगा।
👉तीन संख्याएँ a, b, c समान्तर श्रेणी में होंगी, यदि और केवल यदि 2b=a+c
👉किसी समान्तर श्रेणी में, प्रारंभ तथा अन्त से सामान दूरी पदों का योगफल एक नियतांक होता है, जो कि प्रथम तथा अन्तिम पदों के योगफल के बराबर होता है,
अर्थात्
a_{1}+a_{n}=a_{2}+a_{n-1}=a_{3}+a_{n-2}=\ldots
👉समान्तर श्रेणी का कोई भी पद (प्रथम तथा अंतिम को छोड़कर) समदूरस्थ पदों के योग के आधे के बराबर होता है,
अर्थात्
a_{n}=\frac{1}{2}\left[a_{n-k}+a_{n+k}\right]
जहाँ k<n.
👉यदि a1, a2, a3 ….. an तथा b1, b2, b3 ….. bn दो समान्तर श्रेणियाँ है. तो a1± b1, a2 ± b2 , a3 ± b3 ….. भी समान्तर श्रेणी में होंगे, जिसका सार्वान्तर d1 ± d2 होगा, जहाँ d1 एवं d2 दी गई समान्तर श्रेणियों के सार्वान्तर हैं।
👉यदि किसी समान्तर श्रेणी में पदों की संख्या विषम है, तो पदों का योगफल, मध्य पद तथा पदों की संख्या के गुणनफल के बराबर होता है।
👉यदि किसी समान्तर श्रेणी में पदों की संख्या सम है, तो मध्य के दो पदों का समान्तर माध्य, प्रथम तथा अन्तिम पद के समान्तर माध्य के बराबर होता है।
👉यदि किसी समान्तर श्रेणी में पदों की संख्या विषम है, तो इसका मध्य पद, प्रथम तथा अन्तिम पद के समान्तर माध्य के बराबर होता है।
👉यदि An, An+1 तथा An+2 किसी समान्तर श्रेणी के तीन क्रमागत पद हैं, तो 2An+1=An+An+2.
👉यदि किसी समान्तर श्रेणी से समान अन्तराल पर स्थिति पद चुने जाएँ, तो वे भी समान्तर श्रेणी में होंगे।
👉An=Sn-Sn-1 , (n≥2)
गुणोत्तर श्रेणी किसे कहा जाता है? परिभाषा ।
एक श्रेणी गुणोत्तर श्रेणी होगी, यदि इसके प्रत्येक पद तथा इससे पहले आने वाले पद का अनुपात सदैव नियत हो। यह नियत अनुपात सार्वानुपात कहलाता है, जिसे साधारणतः r से व्यक्त करते हैं।
a, a r, a r^{2}, a r^{3}, \ldots . . a r^{n-1}
किसी गुणोत्तर श्रेणी का व्यापक पद (General term of a G.P.)
(1) a,ar,ar2,ar3,…..arn−1 एक गुणोत्तर श्रेणी है। यहाँ प्रथम पद ‘a’ तथा सार्वानुपात ‘ r ‘ है। गुणोत्तर श्रेणी का व्यापक पद या n वाँ पद Tn=arn-1 होगा, जहाँ
r=\frac{T_{2}}{T_{1}}=\frac{T_{3}}{T_{2}}=\ldots \ldots
(2) किसी गुणोत्तर श्रेणी का अन्त से p वाँ पद : यदि किसी गुणोत्तर श्रेणी में ‘ n ‘ पद हैं, तो अन्त से p वाँ पद
जो प्रारम्भ से (n-p+1) वाँ पद होगा =a rn-p
👉 गुणोत्तर श्रेणी का अन्त से p वाँ पद, जिसका अन्तिम पद `l` तथा सार्वानुपात r है,
l\left(\frac{1}{r}\right)^{p-1}
किसी गुणोत्तर श्रेणी के प्रथम ‘ $n$ ‘ पदों का योगफल (Sum of first ‘n’ terms of a G.P.)
यदि किसी गुणोत्तर श्रेणी का प्रथम पद a, सार्वानुपात r हो, तो के प्रथम n पदों का योगफल
जब |r|<1
S_{n}=\frac{a\left(1-r^{n}\right)}{1-r}, S_{n}=\frac{a-l r}{1-r}
जब |r|>1
S_{n}=\frac{a\left(r^{n}-1\right)}{r-1}, S_{n}=\frac{l r-a}{r-1}
जब |r|=1
S_{n}=n a,
गुणोत्तर श्रेणी के अनन्त पदों का योगफल (Sum of infinite terms of a G.P.)
(1) जब $|r|<1, (या -1<r<1) ; S_{\infty}=\frac{a}{1-r}
(2) यदि r≥1, तो S∞ का अस्तित्व नहीं होगा।
गुणोत्तर श्रेणी के गुणधर्म (Properties of G.P.)
👉यदि किसी गुणोत्तर श्रेणी के सभी पदों को किसी संख्या से गुणा किया जाए या भाग दिया जाए, तब परिणामी अनुक्रम भी एक गुणोत्तर श्रेणी होता है, जिसका सार्वानुपात वही होगा।
👉किसी गुणोत्तर श्रेणी के पदों का व्युत्क्रम एक गुणोत्तर श्रेणी बनाता है, जिसका सार्वानुपात दी गई गुणोत्तर श्रेणी के सार्वानुपात का व्युत्क्रम होता है।
👉किसी सीमित गुणोत्तर श्रेणी में, प्रारम्भ तथा अन्त से समान अन्तराल पर स्थित पदों का गुणनफल सदैव समान होता है और यह प्रथम तथा अन्तिम पद के गुणनफल के बराबर होता है। अर्थात्, यदि a1, a2, a3, .. . . an गुणोत्तर श्रेणी में हैं, तो
👉 यदि किसी गुणोत्तर श्रेणी में से समान अन्तराल पर रिथत पदों का चयन किया जाए, तो इस प्रकार प्राप्त अनुक्रम गुणोत्तर श्रेणी में होगा।
यदि a1, a2, a3, .. . . an एक अशून्य अऋणात्मक पदों की गुणोत्तर श्रेणी है, तो \log a_{1}, \log a_{2}, \log a_{3}, \ldots . . \log a_{n}, \ldots \ldots एक समान्तर श्रेणी होगी तथा इसका विलोम भी सत्य है।
👉 यदि किसी सीमित गुणोत्तर श्रेणी (जिसका सार्वानुपात r है) के प्रत्येक पद का समान घात (k) लिया जाए, तो प्राप्त अनुक्रम भी गुणोत्तर श्रेणी में होगा, जिसका सार्वानुपात rk होगा
👉तीन अशून्य संख्याएँ a, b, c गुणोत्तर श्रेणी में होंगी, यदि और केवल यदि, b2=ac
👉यदि n पदों की किसी गुणोत्तर श्रेणी का प्रथम पद a तथा अन्तिम पद l है, तो सभी पदों का गुणनफल aln/2 होगा।
👉यदि a^{x_{1}}, a^{x_{2}}, a^{x_{3}}, \ldots ., a^{x_{n}} गुणोत्तर श्रेणी में हों, तो x_{1}, x_{2}, x_{3}, \ldots, x_{n} समांतर श्रेणी में होंगे ।
n वें पदों की विशेष श्रेणियाँ, n पदों का योग और अनन्त पदों का योग
👉प्रथम n प्राकृत संख्याओं का योगफल
1+2+3+\ldots \ldots .+n=\sum_{r=1}^{n} r=\frac{n(n+1)}{2}
👉 प्रथम $n$ प्राकृत संख्याओं के वर्गों का योगफल
1^{2}+2^{2}+ \ldots .+n^{2}=\sum_{r=1}^{n} r^{2}=\frac{n(n+1)(2 n+1)}{6}
👉 प्रथम $n$ प्राकृत संख्याओं के घनों का योगफल
1^{3}+2^{3}+ \ldots .+n^{3}=\sum_{r=1}^{n} r^{3}=\left[\frac{n(n+1)}{2}\right]^{2}
👉प्रथम n विषम प्राकृत संख्याओं का योगफल =n2
👉 प्रथम n सम प्राकृत संख्याओं का योगफल =n(n+1)
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