Vidyut dhara kya hai ?
हम जानते हैं कि विद्युत प्रवाह इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह का परिणाम है।
इलेक्ट्रॉन धारा को स्थानांतरित करने में किए गए कार्य को विद्युत ऊर्जा के रूप में जाना जाता है।
विद्युत ऊर्जा को ऊर्जा के अन्य रूपों जैसे कि ऊष्मा ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, आदि में परिवर्तित किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, लोहे के बक्से में विद्युत ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इसी तरह, एक बल्ब में विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
विद्युत धारा एक अदिश राशि है
वैद्युत धारा ( Electric Current )
Vidyut dhara kya hai ?
किसी पृष्ठ से आवेश के प्रवाह की दर को वैद्युत धारा कहते हैं ।
सभी गतिमान आवेशों द्वारा धारा स्थापित नहीं होती है । यदि किसी पृष्ठ के किसी क्षेत्रफल से कुल आवेश q , समयान्तराल t में पृष्ठ लम्बवत् एक ओर से दूसरी ओर स्थानान्तरित होता तो उस क्षेत्रफल से गुजरने वाली औसत वैद्युत धारा
I_{AVG} =\frac{q}{t}
इस क्षेत्रफल से गुजरने वाली धारा का तात्क्षणिक मान
वैद्युत धारा का SI मात्रक ऐम्पियर ( A ) है ।
1 {Ampere} = \frac{1coulomb} {1second}
धारा की दिशा
धनात्मक आवेश के प्रवाह की दिशा में
ऋणात्मक आवेश के प्रवाह के विपरीत दिशा में अर्थात इलेक्ट्रॉन की गति के विपरीत दिशा में।
vidyut dhara ka SI matrak
वैद्युत धारा का SI मात्रक = ऐम्पियर ( A )
विद्युत् धारा का मात्रक = कुलाम /समय = Cs-1
विद्युत् धारा की विमा = यह मूल राशि है इसलिए इसकी विमा A1 होती है।
विद्युत धारा का प्रकार
दिष्ट धारा ( Direct Current – DC )
जिस धारा का परिमाण एवं दिशा नियत रहती है उसे दिष्ट धारा कहते है
यदि धारा की दिशा नियत तथा परिमाण परिवर्ती हो , तो उसे परिवों दिष्ट धारा ( varying DC ) कहते हैं
उदाहरणार्थ संधारित्र की आवेशन तथा निरावेशन क्रिया में प्रवाहित धारा ।
प्रत्यावर्ती धारा ( Alternating Current – AC )
वह धारा जिसका परिमाण तथा दिशा समय के साथ परिवर्तनशील होते हैं तथा एक निश्चित समय T ( दोलनकाल अथवा आवर्तकाल ) के बाद अपनी पूर्व अवस्था में आ जाते हैं
प्रत्यावर्ती धारा ( AC ) कहलाती है । T/2 समय के लिए धारा धनात्मक तथा अगले T/2 समय के लिए धारा ऋणात्मक होती है । धारा तथा समय के बीच वक्र एक ज्या ( अथवा कोज्या ) वक्र होता है ।
इसका आयाम नियत रहता है ।
वैद्युत धारा के सन्दर्भ में निम्न तथ्य महत्त्वपूर्ण हैं
- अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति के अनुसार , धारा की दिशा धन आवेशों के चलने की दिशा अर्थात् वैद्युत क्षेत्र की दिशा में तथा ऋण आवेशों के चलने की दिशा के विपरीत होती है ।
- वैद्युत धारा एक अदिश राशि है ।
- किसी चालक में प्रवाहित धारा चालक के अनुप्रस्थ काट में होने वाले परिवर्तन से अप्रभावित रहती है ।
- चालक में धारा प्रवाहित होने पर चालक वैद्युत उदासीन रहता है ।
- विद्युत धारा को एम्पीयर में मापा जाता है। करंट का एक एम्पीयर एक सेकंड में एक विशिष्ट बिंदु से आगे बढ़ने वाले विद्युत आवेश के एक युग्मन का प्रतिनिधित्व करता है।