विमाएँ एवं विमीय सूत्र के अनुप्रयोग से संबंधित सभी महत्वपूर्ण NCERT पर आधारित नोट्स लिखे गए है।
निम्न लिखित टॉपिक की विस्तार से जानकारी दी गयी है-
विमीय सूत्र एवं विमाएँ
महत्त्वपूर्ण भौतिक राशियों के विमीय सूत्र
विमीय सूत्र एवं विमाएँ के उपयोग
- मात्रकों को एक पद्धति से दूसरी पद्धति में बदलना
- किसी समीकरण की सत्यता की जाँच करना
- नियतांकों अथवा चरों की विमायें ज्ञात करना
- विभिन्न भौतिक राशियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित करना
विमीय सूत्र एवं विमाएँ
किसी भौतिक राशि को मूल इकाइयों जैसे द्रव्यमान ( M ) , लम्बाई ( L ) व समय ( T ) के रूप में प्रदर्शित करने पर उस भौतिक राशि का विमीय सूत्र प्राप्त होता है ।
किसी भी भौतिक राशि के विमीय सूत्र में मूल इकाइयों की घातों को भौतिक राशि की विमा कहते हैं ।
महत्त्वपूर्ण भौतिक राशियों के विमीय सूत्र
भौतिक राशि | सूत्र | SI मात्रक | विमीय सूत्र/विमा |
लम्बाई(l) | मीटर(m) | [M0L1T0] | |
द्रव्यमान(m) | किलोग्राम(kg) | [M1L0T0] | |
समयांतराल(t) | △t=t2−t1 | सेकंड(s) | [M0L0T1] |
वेग या चाल | v=s/t | m/sec | [M0L1T-1] |
संवेग | p=mv | kg-m/sec | [M1L1T-1] |
आवेग | p=F △t | N-sec | [M1L1T-1] |
त्वरण | a= △v/△t | m/sec2 | [M0L1T-2] |
बल | F=ma | N (न्यूटन) | [M1L1T-2] |
कार्य | W=Fs | जूल | [M1L2T-2] |
ऊर्जा | कार्य करने की क्षमता | जूल | [M1L2T-2] |
गतिज ऊर्जा | 1/2mv2 | जूल | [M1L2T-2] |
शक्ति | p=W/t | जूल/sec or Watt | [M1L2T-2] |
पृष्ठ तनाव | T=F/l | N/m | [M1L0T-2] |
उष्मा (Q) | तापान्तर के कारण स्थानांतरित ऊर्जा | जूल | [M1L2T-2] |
विद्युत आवेश | Q=It | कूलॉम | [M0L0T1A1] |
विद्युत धारा | I=Q/t | एम्पीयर | [M0L0T0A1] |
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता | E=ϕ/A | Volt/m | [M1L1T-3A-1] |
विद्युत विभव | V=W/q | volt | [M1L2T-3A-1] |
चुंबकीय क्षेत्र | B=F/qv | टेस्ला | [M1L0T-2A-1] |
चुंबकीय आघूर्ण | M=IA | एम्पीयर -m2 | [M0L2T0A1] |
विमीय सूत्र एवं विमाएँ के उपयोग
इनके निम्न चार उपयोग हैं ।
भौतिक राशियों के मात्रकों को एक पद्धति से दूसरी पद्धति में बदलना
किसी भौतिक राशि के आंकिक मान n तथा मात्रक u का गुणनफल सदैव नियत रहता है ।
n[u] = नियतांक ………. (1)
माना किसी भौतिक राशि P की विमायें द्रव्यमान में a, लम्बाई में b तथा समय में c हैं , तो भौतिक राशि का विमीय सूत्र [ MaLb Tc ] होगा ।
यदि एक पद्धति में P का आंकिक n1 तथा द्रव्यमान , लम्बाई , व समय के मात्रक M1 , L1 , T1 हों तथा दूसरी पद्धति में मूल मात्रको की मापें क्रमश : M2 , L2 व T2 तथा इस पद्धति में P का आंकिक मान n2 हो , तो समी (i) के अनुसार
p= n_1[M_{1}^aL_{1}^bT_{1}^c]=n_2[M_{1}^aL_{1}^bT_{1}^c]
n_2=n_1\left[\frac{M_1}{M_2}\right]^a\left[\frac{M_1}{M_2}\right]^b\left[\frac{M_1}{M_2}\right]^c
उपरोक्त सूत्र की सहायता से किसी भी भौतिक राशि के आंकिक मान को एक पद्धति से दूसरी पद्धति में बदला जा सकता है ।
किसी समीकरण की सत्यता की जाँच करना
भौतिक राशियों के किसी सम्बन्ध को प्रकट करने वाली किसी भी समीकरण में विमीय सन्तुलन होना चाहिए अर्थात समीकरण के प्रत्येक पद की विमायें बराबर होनी चाहिए । जैसे समीकरण
v = u + at …(1)
( v = अन्तिम वेग , u = प्रारम्भिक वेग , a = त्वरण , t = समय ) में तीन पद v , u तथा at हैं ।
इसमें v की विमा = [ LT-1] , u की विमा = [ LT+1 ] , at की विमा = [ LT-2 ] [ T ] = [ LT-1] तथा अर्थात समी ( i ) में तीनों पदों की विमायें समान हैं । अतः समीकरण सत्य है ।
किसी समीकरण में नियतांकों अथवा चरों की विमायें ज्ञात करना
विमाओं में समांगता के सिद्धान्त का प्रयोग करके किसी दी गई । समीकरण में नियतांकों अथवा चर राशियों के मात्रक तथा विमायें ज्ञात की जा सकती हैं ।
उदाहरण : किसी कण की दूरी समय पर सूत्र x = ct + dt2 के अनुसार निर्भर करती है जहाँ c व नियतांक है , x मीटर तथा t सेकण्ड में है । c और d के मान ज्ञात कीजिए ।
हल विमीय सन्तुलन के लिए समीकरण के प्रत्येक पद की विमा समान होनी चाहिए । समीकरण के बायें पक्ष की राशि x की विमा = [ L ] अतः दोनों दायें पदों की विमायें भी [ L ] होंगी ।
[ ct ] = [ L ] तथा [ dt2 ] = [ L ]
c की विमा [ LT-1 ]
c का मात्रक मी/से है तथा यह भौतिक राशि चाल है ।
इसी प्रकार d की विमा [ LT-2 ] = अत
अत : d का मात्रक मी / से2 है तथा यह राशि त्वरण है ।
विभिन्न भौतिक राशियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित करना
यदि यह ज्ञात हो कि कोई भौतिक राशि अन्य किन – किन भौतिक राशियों पर निर्भर करती है तो विमाओं की सहायता से उनके बीच सम्बन्ध स्थापित कर सकते हैं ।
यदि भौतिक राशि P अन्य भौतिक राशियों x,y व z पर निर्भर है तो हम इस सम्बन्ध को इस प्रकार लिख सकते है
p\propto x^a y^bz^c
p=k( x^a y^bz^c)
जहाँ k एक विमाहीन राशि है ।